कृषि जमीन से होने वाली इनकम आम तौर पर टैक्स-फ्री होती है। इसके लिए कुछ नियम और शर्तें हैं। जयपुर के अजय शर्मा को परिवार की पुश्तैनी जमीन से हुई एग्रीकल्चरल इनकम में से 1 लाख रुपये मिले हैं। वह जानना चाहते हैं कि क्या उन्हें इस टैक्स चुकाना होगा? क्या इस इनकम को उन्हें अपने इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाना होगा? मनीकंट्रोल ने टैक्स एक्सपर्ट, सीए और सीएफपी बलवंत जैन से इन सवालों का जवाब पूछा।
HUF की इनकम सदस्यों के बीच बांटी जाती है
जैन ने कहा कि ऐसा लगता है कि शर्मा को एग्रीकल्चरल इनकम (Agricultural Income) में से जो हिस्सा मिला है, वह उनके HUF से जुड़ा है। एचयूएफ की इनकम उसके सदस्यों के बीच बांटी जाती है। इस तरह से बांटी गई इनकम को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 10(2) के तहत एग्जेम्प्शन हासिल है। हालांकि, इसे इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) के शिड्यूल EI (एग्जेम्प्ट इनकम) के तहत एचयूएफ में हिस्सेदारी से इनकम के रूप में दिखाना होगा न कि एग्रीकल्चरल इनकम के रूप में।
एग्रीकल्चरल इनकम को भी कुल इनकम में शामिल करना होगा
हालांकि, अगर शर्मा को विरासत में एग्रीकल्चरल लैंड मिला है जिसमें परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ उनकी संयुक्त हिस्सेदारी है तो इससे हुई एग्रीकल्चरल इनकम को एग्रीकल्चरल इनकम में उनकी हिस्सेदारी मानी जाएगी। ऐसी स्थिति में हालांकि, एग्रीकल्चरल इनकम को सेक्शन 10 (1) के तहत एग्जेम्प्शन हासिल है, लेकिन इसे इनकम टैक्स रेट्स के मकसद से इनकम में शामिल करना होगा। इसका मतलब यह है कि शर्मा की रेगुलर इनकम के टैक्स स्लैब के कैलकुलेशन के लिए इसे उनकी टोटल इनकम में जोड़ा जाएगा। इससे उनका औसत टैक्स रेट बढ़ जाएगा।
इनकम को शिड्यूल EI के तहत डिसक्लोज करना होगा
दोनों ही मामलों में अमाउंट को शिड्यूल EI (एग्जेम्प्ट इनकम) के तहत डिसक्लोज करना होगा। दूसरी स्थिति में चूंकि शर्मा की एग्रीकल्चरल इनकम 5,000 रुपये से ज्यादा है, जिससे वह ITR-1 का इस्तेमाल नहीं कर सकते। उन्हें ITR-2 का इस्तेमाल करना होगा। शर्त यह है कि प्रॉफिट एंड गेंस हेड के तहत बिजनेस या प्रोफेशन से उनकी कोई इनकम नहीं होनी चाहिए। अगर शर्मा की ऐसी इनकम है तो उन्हें अपनी इनकम के हिसाब से ITR-3 या ITR-4 का इस्तेमाल करना होगा।
देर से आईटीआर फाइलिंग पर लेट फीस चुकानी होगी
जैन ने कहा कि यह ध्यान में रखने की जरूरत है कि कम एडवान्स टैक्स की वजह से इंटरेस्ट के अलावा ITR फाइल करने में देरी के चलते कुल टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये से ज्यादा होने पर शर्मा को 5000 रुपये की लेट फाइलिंग फीस भी चुकानी होगी। अगर उनकी इनकम बेसिस एग्जेम्प्शन लिमिट से ज्यादा है, लेकिन 5 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है तो लेट फाइलिंग फीस सिर्फ 1,000 रुपये होगी।