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ICICI Bank ने क्यों बढ़ाया एवरेज मंथली मिनिमम बैलेंस, क्या यह बैंक अकाउंट्स में प्रीमियमाइजेशन की शुरुआत है?

ICICI Bank इंडिया का दूसरा सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है। इसने शहरों के ग्राहकों के लिए मिनिमम बैलेंस बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया है। सेविंग्स अकाउंट का औसत मंथली बैलेंस इससे कम होने पर पेनाल्टी लगेगी

अपडेटेड Aug 12, 2025 पर 11:59 AM
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एनालिस्ट्स का कहना है कि आईसीआईसीआई बैंक आबादी के बड़े हिस्से की जगह उन ग्राहकों पर फोकस करना चाहता है जिनकी इनकम ज्यादा है और जो ज्यादा खर्च करते हैं।

फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में इंडिया में ग्रॉस प्रति व्यक्ति आय 1,31,566 रुपये थी। यह एक साल पहले से 5.44 फीसदी और पांच साल पहले से 23 फीसदी ज्यादा है। साबुन से लेकर मोबाइल बनाने वाली कंपनियों को कहना है कि जिन प्रोडक्ट्स को प्रीमियम माना जाता है उनकी डिमांड बेसिक माने जाने वाले प्रोडक्ट्स के मुकाबले ज्यादा है। इंडियन इकोनॉमी में के-आकार की रिकवरी का असर लोगों के खर्च करने की आदत पर पड़ा है। इससे प्रीमियमाइजेशन के ट्रेंड को सपोर्ट मिला है। अब यह असर बैंकिंग पर भी दिख रहा है।

ICICI Bank इंडिया का दूसरा सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है। इसने शहरों के ग्राहकों के लिए मिनिमम बैलेंस बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया है। सेविंग्स अकाउंट का औसत मंथली बैलेंस इससे कम होने पर पेनाल्टी लगेगी। मिनिमम बैलेंस की शर्त सभी बैंकों के बिजनेस का हिस्सा रहा है। लेकिन, ICICI Bank ने जिस तरह से मिनिमम बैलेंस को बढ़ाया है, वह थोड़ा हैरान करता है।

एनालिस्ट्स का कहना है कि आईसीआईसीआई बैंक आबादी के बड़े हिस्से की जगह उन ग्राहकों पर फोकस करना चाहता है जिनकी इनकम ज्यादा है और जो ज्यादा खर्च करते हैं। एक बैंक के लिहाज से यह बुद्धिमानी है क्योंकि इससे बैंक को भविष्य में क्रेडिट से जुड़े मसलों का सामना नहीं करना पड़ेगा। ज्यादातर बैंक उन लोगों को लोन देना चाहते हैं जिनका पहले से डिपॉजिट अकाउंट है या बैंक के साथ किसी तरह का संबंध है। इससे नो-योर-कस्टमर्स के क्रेडिट रिस्क प्रोफाइल पर फोकस करने की जरूरत नहीं रह जाती है, क्योंकि बैंक के साथ उनका ट्रांजेक्शंस पहले से होता है।


इसका मतलब यह है कि ऐसा व्यक्ति जो 50,000 रुपये का मंथली बैलेंस मेंटेन कर सकता है, उसका क्रेडिट प्रोफाइल अट्रैक्टिव होगा। हाल में बैंकों के रिटेल क्रेडिट पर जिस तरह का दबाव दिखा है, उसके मद्देनजर यह आईसीआईसीआई बैंक का मिनिमम बैलेंस बढ़ाने का फैसला सही है। इससे यह कहा जा सकता है कि बैंक अकाउंट्स के मामले में भी प्रीमियमाइजेशन की शुरुआत हो चुकी है।

आईसीआईसीआई बैंक के मिनिमम बैलेंस बढ़ाने के फैसले पर विचार करते वक्त दो बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। यह मंथली एवरेज बैलेंस है, जिसे डिपॉजिटर को मेंटेन करना पड़ता है। अगर कुछ दिन अकाउंट में बहुत ज्यादा बैलेंस है तो इससे एवरेज मिनिमम बैलेंस मेंटेन हो जाता है।

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दूसरा, यह नियम उन ग्राहकों के लिए है, जो 1 अगस्त या इसके बाद बैंक में अकाउंट ओपन करते हैं। पुराने ग्राहकों के लिए मिनिमम बैलेंस कम बना रहेगा। बैंक कम एवरेज मिनिमम बैलेंस की वजह से अपने पुराने ग्राहकों से रिश्ते खत्म नहीं कर रहा है लेकिन वह आगे प्रीमियम ग्राहकों पर फोकस करना चाहता है।

क्या दूसरे बैंक भी ऐसा कर सकते हैं?

अभी इस बारे में साफ तौर पर कुछ कहना मुश्किल है क्योंकि मिनिमम बैलेंस बढ़ाने का असर डिपॉजिटर्स की ग्रोथ पर पड़ेगा। आईसीआईसीआई बैंक इस फैसले के बाद यह देखेगा कि उसके लो-कॉस्ट सेविंग्स अकाउंट डिपॉजिट्स की ग्रोथ कैसी रहती है। लंबे समय से बैंकों के CASA (करेंट अकाउंट सेविंग्स अकाउंट) की ग्रोथ कमजोर रही है। आईसीआईसीआई बैंक अपनी ताकत से इस बदलाव के असर को बर्दाश्त कर सकता है, लेकिन कई दूसरे बैंकों के पास ऐसी ताकत नहीं है। इसके अलावा इसका असर नेट इंटरेस्ट मार्जिन पर भी पड़ेगा, जिस पर पहले से दबाव है।

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