आज भी स्मॉल सेविंग्स स्कीमों (Small Savings Scheme) में लोगों की दिचस्पी बनी हुई है। इसकी वजह यह है कि इनमें निवेश करने में किसी तरह का रिस्क नहीं होता है। अब सरकार ने इन स्कीमों में भी डिपॉजिट के नियम सख्त कर दिए हैं। इसका मकसद मनी लाउंड्रिंग औ आतंकवादी गतिविधियों के लिए फाइनेंसिंग पर रोक लगाना है। हाल में सरकार की तरफ से जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि अब इन स्कीमों में KYC सहित दूसरे नियमों का सख्ती से पालन होगा। सर्कुलर के मुताबिक, इनवेस्टर्स को तीन कैटेगरी-लो, मीडियम और हाई रिस्क में बांटा गया है।
इनवेस्टर्स के लिए तीन कैटेगरी
लो रिस्क कैटेगरी के तहत ऐसे निवेशक आते हैं जिनके इनवेस्टमेंट की मैच्योरिटी वैल्यू 50,000 रुपये तक होती है या सेविंग्स अकाउंट में उनका बैलेंस 50,000 रुपये को पार नहीं करता है। मीडियम रिस्क कैटेगरी में ऐसे निवेशक आते हैं जिनका इनवेस्टमेंट 50,000 रुपये से 10 लाख रुपये के बीच होता है। हाई रिस्क कैटेगरी में ऐसे इनवेस्टर्स आते हैं, जिनके इनवेस्टमेंट की वैल्यू 10 लाख रुपये से ज्यादा होती है।
ये डॉक्युमेंट्स हैं जरूरी
तीनों कैटेगरी के इनवेस्टर्स के लिए दो फोटोग्राफ, आधार की सेल्फ-एटेस्टेड कॉपी और पैन देना जरूरी है। अगर एड्रेस प्रूफ पर करेंट एंड्रेस नहीं है तो इनवेस्टर्स को 8 डॉक्युमेंट्स में से किसी एक को सब्मिट करना पड़ता है। ज्वाइंट होल्डर्स होने पर दोनों में से हर इनवेस्टर का केवायसी जरूरी है।
30 सितंबर तक देना होगा आधार
इंडिया पोस्ट के जिन डिपॉजिटर्स ने आधार सब्मिट नहीं किया है, उनके लिए 30 सितंबर, 2023 से पहले इसे सब्मिट कर देना जरूरी है। अगर डिपॉजिटर्स ने पैन सब्मिट नहीं किया है तो दो शर्तों में किसी एक के लागू होने पर दो महीने के अंदर उसे सब्मिट करना जरूरी है। पहला, जब अकाउंट में बैलेंस 50,000 रुपये से ज्यादा हो जाता है। दूसरा, जब सभी बैंक अकाउंट में सभी क्रेडिट एक फाइनेंशियल ईयर में एक लाख से ज्यादा हो जाता है या किसी अकाउंट से ट्रांसफर या विड्रॉल एक महीने में 10,000 रुपये से ज्यादा हो जाता है।
पोस्टल अथॉरिटीज को जिम्मेदारी
पोस्टल अथॉरिटीज को 10 लाख रुपये और उससे ज्यादा के कैश ट्रांजेक्शन के बारे में रिपोर्ट करने की जिम्मेदारी दी गई है। 10 लाख रुपये से कम के कैश ट्रांजेक्शन जो आंतरिक रूप से कनेक्टेड हैं उनके बारे में एक कैलेंडर महीने के अंदर जानकारी देनी जरूरी है। कुल 10 लाख रुपये से ज्यााद ट्रांजेक्शन की जानकारी समय-समय पर देना जरूरी है। रिजर्व बैंक के पिछले साल मई से लगातार रेपो रेट बढ़ाने से फिक्स्ड इनकम ऑप्शंस में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ी है।
नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट पांच साल के पीरियड में 7.7 फीसदी इंटरेस्ट ऑफर करता है। इतनी ही अवधि के सरकारी बॉन्ड या सरकारी बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिटा का इंटरेस्ट रेट थोड़ा कम है। NSC, सुकन्या समृद्धि, पीपीएफ और सीनियर सिटीजंस सेविंग्स स्कीम में इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी के तहत टैक्स छूट भी मिलती है।