कई टैक्सपेयर्स के आईटीआर की प्रोसेसिंग हो गई है। उनके बैंक अकाउंट में रिफंड का पैसा भी आ गया है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बताया है कि कुल वेरिफायड आईटीआर की संख्या 7,13,00,901 है, जिनमें से 22 अगस्त तक 73.71 फीसदी आईटीआर को प्रोसेसिंग हो चुकी है। इसका मतलब है कि 26.29 फीसदी यानी 1,87,47,804 करोड़ आईटीआर की प्रोसेसिंग बाकी है। जिन टैक्सपेयर्स के आईटीआर की प्रोसेसिंग नहीं हुई है, उनके मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। कुछ को आईटीआर की स्क्रूटनी का डर है तो कुछ को आईटीआर में किसी तरह की गलती की आशंका है।
प्रोसेसिंग में लगने वाला समय काफी घटा है
एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिन टैक्सपेयर्स के आईटीआर (ITR) की प्रोसेसिंग नहीं हुई है, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। आईटीआर की प्रोसेसिंग नहीं होने की कई वजहें हो सकती हैं। हालांकि, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने आईटीआर की प्रोसेसिंग में लगने वाले समय को काफी कम किया है, लेकिन ज्यादा संख्या की वजह से इस प्रोसेस में वक्त लगता है। अब तक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने यह नहीं बताया है कि कब तक प्रोसेसिंग का काम पूरा हो जाएगा। इसका मतलब है कि आईटीआर की प्रोसेसिंग जारी है।
टैक्सपेयर्स जिनके आईटीआर की प्रोसेसिंग नहीं हुई है, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। रिटर्न प्रोसेस नहीं होने का मतलब यह नहीं है कि उनके आईटीआर को स्क्रूटनी के लिए सेलेक्ट किया गया है। इसकी वजह यह है कि आईटीआर की प्रोसेसिंग और स्क्रूटनी दोनों अलग-अलग तरह के प्रोसेस हैं। रिटर्न की प्रोसेसिंग में डिपार्टमेंट मुख्य रूप से इनकम और उस पर बने टैक्स के कैलकुलेशन पर गौर करता है। फिर, वह यह देखता है कि टैक्सपेयर्स का रिफंड बन रहा है या नहीं। रिफंड की स्थिति में पैसा टैक्सपेयर्स बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
यह भी पढ़ें: इस Fund में 10,000 रुपये का SIP 20 साल में 2.30 करोड़ रुपये बना, क्या आप करेंगे निवेश?
इन वजहों से हो सकती है प्रोसेसिंग में देर
एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि कुछ आईटीआर के प्रोसेस नहीं होने की वजह आईटीआर में दिए नाम और पैन में दिन नाम में अंतर हो सकता है। ऐसे मामलों में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आईटीआर की प्रोसेसिंग नहीं करता है। फिर बाद में टैक्सपेयर्स से इसकी वजह बताने को कहा जाता है। आईटीआर प्रोसेस नहीं होने की एक वजह कुछ फॉर्मों की जटिलता हो सकती है। आईटीआर-2 और आईटीआर-3 को जटिल माना जाता है। इनका इस्तेमाल ऐसे टैक्सपेयर्स करते हैं, जिनकी इनकम के कई स्रोत होते हैं। इसलिए इनकी प्रोसेसिंग में ज्यादा वक्त लगता है।