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आपके हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन पर नजर रखता है इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, इसे छुपाने की हर कोशिश नाकाम रहेगी

आपके लिए यह समझ लेना जरूरी है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्सपेयर्स के अलग-अलग ट्रांजेक्शन को ट्रैक नहीं करता है। इसकी जगह डिपार्टटमेंट एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) और फॉर्म 26 एएस का इस्तेमाल करता है। इन दोनों डॉक्युमेंट्स में टैक्सपेयर्स के छोटे-बड़े हर ट्रांजेक्शन शामिल होते हैं

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Jun 23, 2025 पर 6:34 PM
आपके हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन पर नजर रखता है इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, इसे छुपाने की हर कोशिश नाकाम रहेगी
रिटर्न फाइल करते वक्त आपको किसी तरह की इनकम को छुपाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने का सीजन शुरू हो चुका है। खासकर एंप्लॉयर्स के फॉर्म 16 जारी कर देने के बाद सैलरीड टैक्सपेयर्स ने भी रिटर्न भरना शुरू कर दिया है। हालांकि, इस बार इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन 15 सितंबर है। लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्सपेयर्स को रिटर्न फाइल करने के लिए अंतिम तारीख का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। रिटर्न फाइल करते वक्त आपको किसी तरह की इनकम को छुपाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

इनकम हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन के हिसाब से होनी चाहिए

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट टैक्सपेयर्स की हर फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की जानकारी रखता है। खासकर उसकी नजरें हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन पर होती है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन करता है, लेकिन इनकम टैक्स रिटर्न में अपनी इनकम काफी कम दिखाता है तो उसका इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की निगाह में आना पक्का है। हाई वैल्यू ट्रांजेक्शन ट्रैक करने का मकसद है टैक्स चोरी के मामलों पर लगाम लगाना।

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