ITR Filing 2025: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पहली बार सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को टैक्स सिस्टम में अलग कैटेगरी के रूप में शामिल किया है। अब इन्फ्लुएंसर्स को टैक्स रिटर्न भरते समय नया प्रोफेशन कोड 16021 इस्तेमाल करना होगा। यह कोड उन लोगों के लिए लागू होगा, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ब्रांड्स और प्रोडक्ट्स को प्रमोट करके कमाई करते हैं।
यह बदलाव वित्त वर्ष 2024-25 (असेसमेंट ईयर 2025-26) के लिए जारी ITR यूटिलिटीज में किया गया है। ITR-3 या ITR-4 (सुगम) भरने वाले इन्फ्लुएंसर्स को यह कोड भरना अनिवार्य होगा। ये दोनों फॉर्म सेल्फ-एम्प्लॉयड प्रोफेशनल्स और छोटे कारोबारियों के लिए हैं।
किसे कौन-सा फॉर्म भरना चाहिए?
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, ब्लॉगर्स, ऑनलाइन कोच और डिजिटल गिग वर्कर्स के पास रिटर्न भरने के दो विकल्प हैं। वे अपनी असल इनकम और खर्च दिखा सकते हैं या प्रिजम्पटिव टैक्सेशन (Presumptive Taxation) का विकल्प चुन सकते हैं।
प्रिजम्पटिव टैक्सेशन चुनने पर व्यापक खाताबही रखने की जरूरत नहीं होती। इसके तहत कुल कमाई का एक निश्चित हिस्सा टैक्स योग्य आय माना जाता है।
प्रोफेशन या बिजनेस, कन्फ्यूजन बरकरार
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि इन्फ्लुएंसर प्रोफेशन के वर्गीकरण को लेकर अभी भी अस्पष्टता है। आयकर कानून के रूल 6F के तहत कुछ नोटिफाइड प्रोफेशंस का जिक्र है, लेकिन कंटेंट क्रिएशन उसमें शामिल नहीं है। ऐसे में इन्फ्लुएंसर के काम को ‘प्रोफेशन’ मानने पर ऑडिट लिमिट और किस सेक्शन का इस्तेमाल होगा, इसे लेकर असमंजस बना रह सकता है।
अगर इसे प्रोफेशन माना गया तो इन्फ्लुएंसर्स को सेक्शन 44ADA के तहत खर्च और डिडक्शन का लाभ मिलेगा। वहीं, अगर इसे बिजनेस माना गया तो सेक्शन 44AD लागू होगा।
ITR फाइल करने की प्रक्रिया
नए नियमों के तहत इन्फ्लुएंसर को रिटर्न भरते समय नीचे दिए गए स्टेप को फॉलो करना होगा।
टैक्स नेट में आया इन्फ्लुएंसर इकोनॉमी
सरकार का यह कदम सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से बढ़ रही इन्फ्लुएंसर इकोनॉमी को औपचारिक टैक्स ढांचे में लाने की दिशा में अहम माना जा रहा है। हालांकि, इस नई व्यवस्था को लागू करने में किस तरह के नियम बनेंगे और प्रोफेशन-बिजनेस के बीच बने ग्रे एरिया को कैसे सुलझाया जाएगा, इस पर नजर रहेगी।