वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट 2025 में सालाना 12 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स-फ्री करने का ऐलान किया। इससे मिडिल क्लास को काफी राहत मिली है। अब सालाना 12 लाख तक की आमदनी वाले लोगों के हाथ में ज्यादा पैसे बचेंगे। लोग इस पैसे का इस्तेमाल खर्च, सेविंग्स और इनवेस्टमेंट के लिए कर सकेंगे। वित्तमंत्री ने नई रीजीम में टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया है। इससे 12 लाख रुपये से ज्यादा इनकम वाले लोगों को भी पहले के मुकाबले कम टैक्स देना होगा।
एनपीएस में निवेश करना होगा
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति नौकरी करता है तो सालाना 13.7 लाख तक की इनकम पर उसका टैक्स जीरो हो सकता है। इसके लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में निवेश करना होगा। इनकम टैक्स की नई रीजीम (New Regime of Income Tax) में बेसिक सैलरी (प्लस डीए) के 14 फीसदी तक के एनपीएस कंट्रिब्यूशन पर टैक्स में डिडक्शन मिलता है। यह डिडक्शन इनकम टैक्स एक्स टेक सेक्शन 80CCD(2) के तहत मिलता है। हालांकि, यह डिडक्शन तभी मिलता है, जब एंप्लॉयर एंप्लॉयी को एनपीएस में निवेश की सुविधा देता है।
मान लीजिए किसी व्यक्ति की सालाना इनकम 13.7 लाख रुपये है। अगर उसकी बेसिक सैलरी 50 फीसदी मान ली जाए तो यह 6.85 लाख रुपये होगी। इसका 14 फीसदी 95,900 रुपये होगा। एंप्लॉयी सालाना 95,900 रुयये का कंट्रिब्यूशन एनपीएस में कर डिडक्शन का दावा कर सकता है। इस अमाउंट में अगर 75,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन जोड़ दिया जाए तो यह कुल डिडक्शन 1,70,900 रुपये हो जाएगा। इस तरह उसे कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा।
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2004 में हुई थी एनपीएस की शुरुआत
एनपीएस की शुरुआत सरकार ने 2004 में की थी। इसे आम लोगों के लिए 2009 में ओपन कर दिया गया था। रिटायरमेंट सेविंग्स के लिए यह सबसे अच्छी स्कीम है। व्यक्ति की उम्र 60 साल पूरी होने पर एनपीएस में जमा फंड का 60 फीसदी एकमुश्त मिल जाता है। इस पर टैक्स नहीं लगता है। बाकी 40 फीसदी पैसे का एन्युटी में करना पड़ता है। इससे व्यक्ति को हर महीने पेंशन मिलती है। एनपीएस का रिटर्न अच्छा है। इसमें मार्केट लिंक्ड इनवेस्टमेंट का विकल्प है। इससे लंबी अवधि में पैसा काफी बढ़ जाता है।