Income Tax नोटिस मिलने पर घबराएं नहीं, इन बातों का रखेंगे ध्यान तो नहीं होगी मुश्किल

Income Tax Notice: पिछले कुछ सालों में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अपने कामकाज का काफी डिजिटल बना दिया है। अब रिटर्न की प्रोसेसिंग से लेकर रिफंड तक का काम सॉफ्टवेयर की मदद से पूरा होता है। यहां तक कि आईटीआर फॉर्म की स्क्रूटनी भी सॉफ्टवेयर करता है

अपडेटेड Jun 13, 2025 पर 5:47 PM
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इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अलग-अलग सेक्शन् के तहत टैक्सपेयर्स को नोटिस इश्यू करता है।

इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने का सीजन शुरू हो गया है। कई टैक्सपेयर्स ने आईटीआर फाइल कर दिया है। नौकरी करने वाले कई लोग फॉर्म 16 मिलने का इंतजार कर रहे हैं। एंप्लॉयर्स अपने एंप्लॉयीज को 15 जून तक फॉर्म 16 इश्यू कर देते हैं। इसके बाद ही सैलरीड टैक्सपेयर्स रिटर्न फाइल करते हैं। हालांकि, इस बार रिटर्न फाइल करने के लिए टैक्सपेयर्स को ज्यादा वक्त मिला है। सीबीडीटी ने रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन बढ़ाकर 31 सितंबर कर दी है।

रिटर्न फाइल करने के लिए डेडलाइन का इंतजार नहीं करें

एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करने के लिए डेडलाइन करीब आने का इंतजार नहीं करना चाहिए। इसकी वजह यह है कि जल्दबाजी में ITR फाइल करने पर गलती होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा टैक्सपेयर्स जल्दबाजी में रिटर्न फाइल करने की वजह से किसी इनकम के बारे में बताना भूल सकता है। इससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस (Income Tax Notice) टैक्सपेयर्स को मिल सकता है।


जल्दबाजी में रिटर्न फाइल करने में गलती की आशंका होती है

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। छोटी-बड़ी हर इनकम की जानकारी ITR फॉर्म में देनी चाहिए। इसके बावजूद भी अगर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का नोटिस आता है तो घबराना नहीं चाहिए। खासकर अगर आपने इनकम टैक्स के नियमों का प्लान ठीक तरह से किया है तो आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है। कई टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स नोटिस आते ही टेंशन में आ जाते हैं। वे यह भी पता करने की कोशिश नहीं करते कि नोटिस में क्या लिखा है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का ज्यादातर कामकाज डिजिटल हो चुका है

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले कुछ सालों में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अपने कामकाज का काफी डिजिटल बना दिया है। अब रिटर्न की प्रोसेसिंग से लेकर रिफंड तक का काम सॉफ्टवेयर की मदद से पूरा होता है। यहां तक कि आईटीआर फॉर्म की स्क्रूटनी भी सॉफ्टवेयर करता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब फॉर्म 26एएस और AIS की मदद से टैक्सपेयर के फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन पर करीबी नजर रखता है। अगर डिपार्टमेंट को टैक्सपेयर्स के फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन, इनकम, टैक्स पेमेंट में किसी तरह की कमी दिखाई देती है तो वह संदेह के आधार पर उसे नोटिस इश्यू कर सकता है।

नोटिस आने का मतलब यह नहीं कि टैक्सपेयर ने अपराध किया है

टैक्सपेयर्स को यह समझने की जरूरत है कि इनकम टैक्स नोटिस आने के मतलब यह नहीं है कि आपने कोई बड़ा घोटाला किया है। दरअसल, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट नोटिस भेजकर किसी डेटा के बारे में टैक्सपेयर्स से सवाल पूछ सकता है। टैक्सपेयर्स को सिर्फ डिपार्टमेंट के सवाल का जवाब देना है। टैक्सपेयर्स के जवाब से डिपार्टमेंट के संतुष्ट होने के बाद मामला खत्म हो जाता है।

अलग-अलग सेक्शन में नोटिस भेजता है डिपार्टमेंट

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अलग-अलग सेक्शन् के तहत टैक्सपेयर्स को नोटिस इश्यू करता है। उदाहरण के लिए सेक्शन 142(1) के तहत इनकम टैक्स डिपारमेंट आईटीआर फाइल नहीं करने पर नोटिस भेज सकता है। अगर उसे टैक्सपेयर्स से किसी अतिरिक्त डॉक्युमेंट की जरूरत है तो भी वह इस सेक्शन के तहत नोटिस भेज सकता है। सेक्शन 139(9) के तहत नोटिस तब भेजा जाता है जब टैक्सपेयर रिटर्न फाइल करने के लिए गलत ITR फॉर्म का इस्तेमाल करता है।

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जरूरत पड़ने पर लें टैक्स एक्सपर्ट्स की सलाह

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनकम टैक्स का नोटिस मिलने पर सबसे पहले उसे पढ़कर यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि नोटिस में क्या लिखा है। अगर टैक्सपेयर से कोई डॉक्युमेंट मांगा गया है या किसी सवाल का जवाब मांगा गया है तो टैक्सपेयर्स को उस नोटिस का रिप्लाई दे देना चाहिए। किसी नोटिस का जवाब जल्द देने की कोशिश करनी चाहिए। इसकी वजह यह है कि हर नोटिस टाइम-बाउंड होता है। अगर नोटिस में लिखी बात समझ में नहीं आती है तो टैक्स एक्सपर्ट्स की मदद लेनी चाहिए।

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