कंपनियों ने अपने एंप्लॉयीज को फॉर्म 16 जारी कर दिए हैं। अब सैलरीड टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकते हैं। कई टैक्सपेयर्स ने आईटीआर फाइल कर दिया है। रिटर्न फाइल करने के लिए टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स की नई और पुरानी स्कीम में से किसी एक का चुनाव करना जरूरी है। हर रीजीम के अपने-अपने फायदे हैं। इसके हिसाब से टैक्सपेयर्स इस आधार पर रीजीम का फैसला कर सकते हैं कि कौन सी रीजीम उनके लिए फायदेमंद हैं।
2023 के बजट में नई टैक्स रीजीम में बड़े बदलाव
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023 के यूनियन बजट में नई टैक्स रीजीम में कई बड़े बदलाव किए थे। उन्होंने बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट 50,000 रुपये बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी थी। इसके अलावा सेक्शन 87ए के तहत मिलने वाले रिबेट को बढ़ा गया था। इससे नई रीजीम में सालाना 7 लाख रुपये तक इनकम वाले लोगों को टैक्स चुकाने की जरूरत नहीं है। इसका मकसद टैक्स कैलकुलेशन को आसान बनाना था।
टैक्स-सेविंग्स और इसके फायदों को समझना होगा
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि नई और पुरानी में से कौन सी रीजीम आपके लिए फायदेमंद है, इसका फैसला कुछ मानकों पर लिया जा सकता है। इसके लिए टैक्सपेयर को अपनी संभावित इनकम, संभावित डिडक्शन और उपलब्ध एगजेम्प्शन को ठीक तरह से समझना होगा। नई रीजीम खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो टैक्स-सेविंग्य या इनवेस्टमेंट नहीं करते हैं। उधर, ओल्ड रीजीम उन लोगों के लिए अच्छा है जो निवेश कर सकते हैं।
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7 लाख तक की सालाना इनकम वाले टैक्सपेयर्स के लिए नई स्कीम फायदेमंद
एक्सपर्ट्स ने बताया कि जिन लोगों की इनकम सालना 7 लाख रुपये तक है उन लोगों के लिए नई रीजीम फायदेमंद हैं, क्योंकि उनकी टैक्स लायबिलिटी जीरो हो जाती है। अगर आपनी इनकम 7 लाख रुपये तक है और आप डिडक्शन का फायदा नहीं उठाते हैं तो नई टैक्स रीजीम आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। अगर आपने टैक्स सेविंग्स इंस्ट्रूमेंट्स में अच्छा निवेश किया है तो ओल्ड टैक्स रीजीम आपके लिए सही होगी। इससे आपकी टैक्स लायिबिलिटी घट जाएगी। जानकारों का यह भी कहना है कि नई और पुरानी टैक्स पॉलिसी का फैसला इस पर निर्भर करेगा कि आपका टैक्स सेविंग निवेश कितना है।