इनकम टैक्स की नई रीजीम में हुए बदलाव 1 अप्रैल से लागू हो चुके हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी, 2025 में इस रीजीम में कई बदलाव का ऐलान किया था। उन्होंने सालाना 12 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स जीरो कर दिया था। साथ ही टैक्स स्लैब्स में भी बदलाव किया था। इससे नई रीजीम ज्यादातर टैक्सपेयर्स के लिए अट्रैक्टिव हो गई है। सवाल है कि आपके लिए नई और पुरानी रीजीम में कौन सी रीजीम बेस्ट है?
सैलरीड टैक्सपेयर्स की 12.75 लाख तक की इनकम पर टैक्स नहीं
दीवान पीएन चोपड़ा एंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर ध्रुव चोपड़ा ने कहा कि नए वित्त वर्ष यानी 2025-26 में इनकम टैक्स की नई रीजीम के इस्तेमाल से सैलरीड टैक्सपेयर्स का काफी टैक्स बच सकता है। खासकर, इससे उन टैक्सपेयर्स को ज्यादा फायदा हो सकते हैं, जो ओल्ड रीजीम में डिडक्शन का ज्यादा फायदा नहीं उठाते हैं। उदाहरण के लिए नई रीजीम में 12 लाख रुपये तक की सालाना इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। अगर आप नौकरी करते हैं तो 12.75 लाख रुपये तक की इनकम पर टैक्स नहीं देना होगा।
नई और पुरानी टैक्स रीजीम में सबसे बड़ा फर्क डिडक्शन के मामले में
नई और पुरानी रीजीम के बीच सबसे बड़ा फर्क डिडक्शन के मामले मे है। इसके अलावा सेक्शन 87ए के तहत मिलने वाले रिबेट की लिमिट में भी फर्क है। चोपड़ा ने कहा कि नई रीजीम में टैक्स के रेट्स कम हैं, लेकिन डिडक्शन की इजाजत नहीं है। इसके अलावा नई रीजीम में टैक्स के स्लैब्स भी ज्यादा हैं। उधर, पुरानी रीजीम में इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के कई सेक्शन के तहत कई तरह के डिडक्शंस मिलते हैं। इनमें सेक्शन 80सी, सेक्शन 80डी, सेक्शन 24बी और एचआरए शामिल हैं।
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नई रीजीम का इस्तेमाल अपेक्षाकृत आसान
जेजेडसीएफओ के फाउंडर और सीए मनीष मिश्रा ने कहा कि नई रीजीम और पुरानी रीजीम में कौन सी रीजीम आपके लिए फायदेमंद है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि टैक्सपेयर्स टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट करता है या नहीं। अगर कोई टैक्सपेयर टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट नहीं करता है, उसने होम लोन नहीं लिया है या एचआरए क्लेम नहीं करता है तो वह नई रीजीम का इस्तेमाल कर सकता है। इसका इस्तेमाल करना आसान है। इसमें टैक्सपेयर्स को डिडक्शंस से जुड़े डॉक्युमेंट्स और उनका ट्रैक रखने की जरूरत नहीं पड़ती है।
नई रीजीम में सिर्फ सेक्शन 80CCD(2) के तहत डिडक्शन की इजाजत
नई टैक्स रीजीम में एचआरए, होम लोन इंटरेस्ट पर डिडक्शन, सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन और सेक्शन 80डी के तहत डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत नहीं है। नई रीजीम में सिर्फ सेक्शन 80CCD(2) के तहत सैलरीड टैक्सपेयर्स को डिडक्शन मिलता है। इसके तहत एंप्लॉयर के एंप्लॉयी के एनपीएस अकाउंट में कंट्रिब्यूशन पर डिडक्शन की इजाजत है।