Income Tax Return 2025: टैक्सपेयर्स कितनी बार अपनी टैक्स रीजीम में बदलाव कर सकते हैं?

Income Tax Return 2025: टैक्सपेयर्स के पास विकल्प है कि वह नई और पुरानी में से किसी एक रीजीम का चुनाव अपनी इच्छा से कर सकता है। पुरानी रीजीम में डिडक्शन का फायदा मिलता है। खासकर सेक्शन 80सी, 80डी और होम लोन के प्रिंसिपल और इंटरेस्ट पर डिडक्शन का फायदा मिलता है। नई रीजीम में ये फायदे नहीं मिलते हैं

अपडेटेड Jun 19, 2025 पर 10:51 AM
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टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि सैलरीड टैक्सपेयर्स को अगर बिजनेस से इनकम नहीं होती है यानी सिर्फ सैलरी, बैंक इंटरेस्ट आदि से इनकम होती है तो वह हर साल इनकम टैक्स की अपनी रीजीम में बदलाव कर सकता है।

इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने का सीजन शुरू हो गया है। कई टैक्सपेयर्स ने अपने आईटीआर फाइल भी कर दिए हैं। फॉर्म 16 मिल जाने के बाद सैलरीड टैक्सपेयर्स ने भी रिटर्न फाइल करना शुरू कर दिया है। इस हफ्ते की शुरुआत में मेरी मुलाकात नेहा जैन से हुई। कुछ साल पहले हम दोनों एक ही कंपनी में नौकरी करते थे। उन्हें परेशान देखने पर मैंने पूछा कि क्या उसके साथ कोई प्रॉब्लम है। पहले तो उसने ना कह दिया, लेकिन कुछ ही देर बाद उसने कहा कि वह कुछ पूछना चाहती है। मैंने कहा कि वह बेझिझक पूछ सकती है।

क्या है ओल्ड और पुरानी रीजीम?

जैन ने कहा कि उसके एंप्लॉयर ने उसे डिजिटल फॉर्म 16 (Digital Form 16) इश्यू कर दिया है। वह इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return ) फाइल करना चाहती है लेकिन उसे यह नहीं पता कि उसके लिए कौन सी रीजीम अच्छी रहेगी? दूसरा सवाल यह था कि पिछले वित्त वर्ष की शुरुआत में उसने अपने एंप्लॉयर को बताया था कि वह ओल्ड रीजीम का इस्तेमाल करना चाहती है। सवाल है कि क्या अब वह इसमें बदलाव कर सकती है?


टैक्सपेयर्स के लिए क्या है नियम?

पहले मैंने जैन को चिंता से बाहर आने को कहा। दरअसल, यह समस्या सिर्फ जैन की नहीं है। ऐसे लाखों सैलरीड टैक्सपेयर्स हैं, जो इस सवाल को लेकर कनफ्यूज्ड रहते हैं। इसकी वजह इनकम टैक्स की पुरानी और नई रीजीम है। करीब 5 साल पहले यह व्यवस्था लागू हुई थी। अब टैक्सपेयर्स के पास विकल्प है कि वह नई और पुरानी में से किसी एक रीजीम का चुनाव अपनी इच्छा से कर सकता है। पुरानी रीजीम में डिडक्शन का फायदा मिलता है। खासकर सेक्शन 80सी, 80डी और होम लोन के प्रिंसिपल और इंटरेस्ट पर डिडक्शन का फायदा मिलता है। नई रीजीम में ये फायदे नहीं मिलते हैं।

पुरानी और नई रीजीम में क्या फर्क है?

जैन शुरू से इनकम टैक्स की पुरानी रीजीम का इस्तेमाल करती आ रही हैं। दरअसल, उन्होंने टर्म इंश्योरेंस कराया है। हेल्थ पॉलिसी खरीदी है। सेक्शन 80सी के तहत भी वह हर साल टैक्स सेविंग्स इनवेस्टमेंट करती हैं। इनमें म्यूचुअल फंड की टैक्स सेविंग्स स्कीम और पीपीएफ शामिल है। अब उन्हें किसी ने बताया है कि टैक्स सेविंग्स इनवेस्टमेंट पर डिडक्शन हासिल करने के बावजूद अगर वह इनकम टैक्स की नई रीजीम का इस्तेमाल करती हैं तो उन्हें कम टैक्स देना पड़ेगा। इसीलिए वह कनफ्यूज्ड हैं।

क्या टैक्सपेयर्स रीजीम में बदलाव कर सकते हैं?

नेहा को अगर लगता है कि फाइनेंशियल ईयर 2024-25 का इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए नई रीजीम का इस्तेमाल करने से उन्हें कम टैक्स देना पड़ेगा तो वह नई रीजीम का इस्तेमाल कर सकती हैं। यह समझना जरूरी है कि अगर आपने पिछले वित्त वर्ष की शुरुआत में अपने एंप्लॉयर को पुरानी रीजीम के इस्तेमाल करने के बारे में बताया है तो भी आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग के वक्त पुरानी की जगह नई रीजीम का इस्तेमाल कर सकते हैं। हां यह सही है कि आपके एंप्लॉयर के पुरानी रीजीम के हिसाब से आपका TDS काटा होगा। लेकिन, अगर नई रीजीम के इस्तेमाल से आपका टैक्स कम बन रहा है तो काटा गया टीडीएस का पैसा रिफंड के रूप में आपको वापस मिल जाएगा।

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इनकम टैक्स का नियम क्या कहता है?

टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि सैलरीड टैक्सपेयर्स को अगर बिजनेस से इनकम नहीं होती है यानी सिर्फ सैलरी, बैंक इंटरेस्ट आदि से इनकम होती है तो वह हर साल इनकम टैक्स की अपनी रीजीम में बदलाव कर सकता है। वह कितनी बार बदलाव कर सकता है, इसकी कोई सीमा नहीं है। इसका मतलब है कि अगर आप नौकरी करते हैं और पिछले वित्त वर्ष की शुरुआत यानी अप्रैल 2024 में अपने एंप्लॉयर को बताया था कि आप पुरानी रीजीम का इस्तेमाल करेंगे तो भी आप इस साल ITR फाइलिंग के वक्त नई रीजीम का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए जैन को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। मेरे यह बताने के बाद वह संतुष्ट दिखीं।

Rakesh Ranjan

Rakesh Ranjan

First Published: Jun 19, 2025 10:39 AM

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