आज बड़ी संख्या में लोग यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए कमाई कर रहे हैं। इस कमाई को इनकम टैक्स रिटर्न में बताना जरूरी है। लेकिन, इसकी रिपोर्टिंग का तरीका कम ही लोग जानते हैं। अगर आपने यूट्यूबल चैनल से कमाई के बारे में ठीक तरह से इनकम टैक्स रिटर्न में नहीं बताया तो आपको नोटिस आ सकता है।
इनकम और खर्च का हिसाब रखना होगा
यूट्यूब और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से होने वाली इनकम का रिकार्ड रखना जरूरी है। इसके अलावा कंटेंट बनाने में होने वाला खर्च का हिसाब रखना भी जरूरी है। टैक्सबड़ी डॉट कॉम के फाउंडर सुजीत बांगर ने कहा, "यूट्यूबर्स और इनफ्लूएंसर्स आईटीआर में अपनी इनकम बिजनेस और प्रोफेशन से हुई इनकम के रूप में दिखा सकते हैं। यूट्यूब या दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हुई इनकम प्रोफेशनल इनकम मानी जा सकती है। अगर कोई मर्चेंडाइज की बिक्री से पैसे कमाता है तो इसे बिजनेस इनकम माना जाएगा।"
इन आईटीआर फॉर्म्स का कर सकते हैं इस्तेमाल
अगर बिजनेस इनकम है तो आप आईटीआर-3 का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर आपकी कुल इनकम एक वित्त वर्ष में 50 लाख से ज्यादा नहीं है और आप टैक्स की प्रिजम्प्टिव स्कीम का इस्तेमाल करने की शर्तें पूरी करते हैं तो आप आईटीआर-4 का इस्तेमाल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए कर सकते हैं। इनकम टैक्स के सेक्शन 44एडीए के तहत कुछ खास तरह के प्रोफेशन से जुड़े लोग टैक्स की प्रिजम्प्टिव स्कीम का इस्तेमाल कर सकते हैं। डॉक्टर्स, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, कंपनी सेक्रेटरीज, कॉस्ट एंड अकाउंट मैनेजमेंट अकाउंटेंट्स, इंजीनियर्स और फिल्म लाइन से जुड़े कुछ लोग प्रिजम्प्टिव स्कीम का चुनाव कर सकते हैं।
रीजीम में हर साल बदलाव की इजाजत नहीं
मुंबई के टैक्स कंसल्टेंट बलवंत जैन ने कहा, "अगर यूट्यूबर एक वकील और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की तरह प्रोफेशनल भी है तो वह प्रोफेशनल के रूप में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर सकता है।" उधर, बांगर का कहना है कि एक जरूरी चीज यह है कि अगर यूट्यूबर्स और इनफ्ल्यूएंसर्स को बिजनेस और प्रोफेशन से इनकम है तो वे हर साल अपनी टैक्स रीजीम को नहीं बदल सकेंगे। इसलिए ऐसे लोगों को टैक्स रीजीम का चुनाव करने में काफी सावधान रहने की जरूरत है।
नई रीजीम का इस्तेमाल फायदेमंद हो सकता है
इस फर्क को समझना जरूरी है। क्रिएटर्स के लिए ओल्ड रीजीम और नई रीजीम के बीच स्विच करने के नियम उतने आसान नहीं हैं, जितने ये सैलरीड इंडिविजुअल्स के लिए हैं। सैलरीड टैक्सपेयर्स हर साल अपनी रीजीम को बदल सकते हैं। लेकिन, प्रोफेशनल्स और बिजनेसेज को उसी रीजीम का इस्तेमाल करना होता है, जिसका चुनाव उन्होंने शुरू में किया है। अगर आप यूट्यूबर हैं तो आप नई टैक्स रीजीम का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें टैक्स के रेट्स कम हैं।
खर्च पर डिडक्शन क्लेम करने से टैक्स घट जाता है
एक दूसरी जरूरी बात यूट्यूबर को यह समझने की है कि कंटेंट बनाने में आए खर्च पर डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। कंटेंट तैयार करने में कमैरा जैसे इक्विपमेंट का इस्तेमाल होता है। एडिटिंग के लिए सॉफ्टेवयर का इस्तेमाल होता है। इंटरनेट के लिए पेमेंट करना पड़ता है। आपको स्टूडियो भी रेंट पर लेना पड़ सकता है। ऐसे खर्चों पर डिडक्शन क्लेम करने से टैक्सेबल इनकम काफी घट जाता है। इसलिए कंटेंट क्रिएटर के लिए सिर्फ कंप्लायंस जरूरी नहीं है बल्कि स्मार्ट प्लानिंग भी जरूरी है। आखिर में आपको यह चेक कर लेने की जरूरत है कि इनकम टैक्स की नई और पुरानी रीजीम में किसका इस्तेमाल आपके लिए फायदेमंद है।