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Indian Railways: ट्रेन चलाने वाले ड्राइवर की सैलरी सुनकर उड़ जाएंगे होश, जानें 8वें वेतन आयोग में कितनी बढ़ सकती है

Railway Loco Pilot Salary: ट्रेन चलाने वाले को लोको पायलट कहते हैं। इसे चलाने के लिए रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड की ओर से सहायक लोको पायलट की भर्ती की जाती है। इस बीच सैलरी के मामले 8वां वेतन आयोग सुर्खियों में है। ऐसे में बहुत से लोगों की जिज्ञासा है कि आखिर ट्रेन के ड्राइवर की सैलरी बढ़कर कितनी हो जाएगी

Jitendra Singhअपडेटेड Mar 27, 2025 पर 2:58 PM
Indian Railways: ट्रेन चलाने वाले ड्राइवर की सैलरी सुनकर उड़ जाएंगे होश, जानें 8वें वेतन आयोग में कितनी बढ़ सकती है
Railway Loco Pilot Salary: 8वें वेतन आयोग के तहत अनुभवी लोको पायलट का वेतन 70,000 रुपये या इससे अधिक तक पहुंच सकता है।

इंडियन रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। इस नेटवर्क को सफलता पूर्वक चलाने के लिए लाखों कर्मचारी काम करते हैं। इतने यात्रियों को अपनी मंजिल तक पहुंचाना कोई छोटा काम नहीं हैं। इसके लिए बहुत अच्छी और सही प्लानिंग की जरूरत होती है। इसमें ट्रेन के ड्राइवर की अहम भूमिका होती है। ट्रेन के ड्राइवर को लोको पायलट कहा जाता है। ऐसे में बहुत से लोग सोच रहे होंगे कि आखिर ट्रेन के ड्राइवर की सैलरी कितनी रहती होगी, वहीं आठवां वेतन आयोग लागू होने के बाद आखिर बढ़कर कितनी हो जाएगी?

लंबे सफर के लिए आज लोग भारतीय रेलवे को पहली प्राथमिकता देते हैं। भारतीय रेलवे के जरिए रोजाना करीब 3 करोड़ लोग यात्री सफर करते हैं। ट्रेनों का संचालन इंडियन रेलवे की ओर से किया जाता है। ऐसे में जिसे ट्रेन चलाना है। उसकी अनुमति भी रेलवे की ओर से दी जाती है और उसे सैलरी भी रेलवे की ओर से दी जाती है। ऐसे में आइये जानते हैं लोको पायलट कैसे बनते हैं और कितनी सैलरी मिलती है ?

लोको पायलट की भर्ती प्रक्रिया

सबसे पहले बता दें कि सीधी भर्ती से लोको पायलट नहीं बन सकते हैं। शुरुआत में उम्मीदवारों को असिस्टेंट लोको पायलट (ALP) के तौर पर नियुक्त किया जाता है। इसके बाद उन्हें कठोर ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग और अनुभव हासिल करने के बाद ही उम्मीदवार को पूरी तरह से लोको पायलट के रूप में ट्रेन चलाने की अनुमति मिलती है। भारतीय रेलवे में लोको पायलट बनने के लिए कैंडिडेट्स को 10वीं पास होना जरूरी है। इसके साथ ही किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से आईटीआई (ITI) या डिप्लोमा (इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग) होना जरूरी है। कैंडिडेट्स की उम्र 18 से 30 साल के बीच होनी चाहिए। आरक्षित वर्ग के लिए उम्र में छूट मिलती है।

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