इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने सभी लाइफ इंश्योरेंस सेविंग प्रोडक्ट्स में पॉलिसी लोन की सुविधा अब अनिवार्य कर दी है। इसका मतलब है कि इससे पॉलिसीहोल्डर्स को नकदी संबंधी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। इरडा ने आज 12 जून को लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के संबंध में सभी रेगुलेशन को कंसोलिडेट करने वाला मास्टर सर्कुलर जारी किया है। इसमें कहा गया है कि ‘फ्री-लुक’ पीरियड अब 30 दिन की है। पहले यह अवधि 15 दिन थी। ‘फ्री-लुक’ पीरियड में पॉलिसी के नियमों और शर्तों की समीक्षा करने के लिए समय दिया जाता है।
नया मास्टर सर्कुलर जनरल इश्योरेंस पॉलिसी के लिए रेगुलेटर द्वारा की गई इसी प्रकार की प्रक्रिया के बाद आया है। इरडा ने कहा, "यह इंश्योरेंस रेगुलेटर द्वारा पॉलिसीधारकों के हितों को ध्यान में रखते हुए उठाए गए सुधारों की सीरीज में एक अहम कदम है। अब इनोवेशन को बढ़ावा देने, कस्टमर एक्सपीरियंस और संतुष्टि को बढ़ाने के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध है।"
मास्टर सर्कुलर के अनुसार पेंशन प्रोडक्ट्स के तहत आंशिक निकासी की सुविधा की अनुमति दी गई है। इससे पॉलिसीहोल्डर्स को जीवन की अहम घटनाओं जैसे बच्चों की उच्च शिक्षा या शादी; रेसिडेंशियल हाउस/फ्लैट की खरीद/निर्माण; मेडिकल खर्च और गंभीर बीमारी के इलाज के लिए अपनी स्पेसिफिक फाइनेंशियल जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
पॉलिसीधारकों की शिकायत निपटाने के लिए होगी मजबूत व्यवस्था
इरडा ने कहा कि पॉलिसी को बंद करने के मामले में… इसे बंद करने वाले पॉलिसीधारकों और जारी रखने वाले पॉलिसीधारकों दोनों के लिए युक्तिसंगत तथा मूल्यपरक राशि सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसके अलावा, रेगुलेटर ने कहा कि पॉलिसीधारकों की शिकायत निपटाने के लिए मजबूत व्यवस्था होनी चाहिए।
सर्कुलर में कहा गया, "अगर बीमाकर्ता बीमा लोकपाल के निर्णय के विरुद्ध अपील नहीं करता है और उसे 30 दिन के भीतर इंप्लीमेंट नहीं करता है, तो शिकायतकर्ता को हर दिन 5000 रुपये का जुर्माना देना होगा।" बीमा कंपनियों से कहा गया कि वे निरंतरता में सुधार लाने, गलत बिक्री पर अंकुश लगाने और पॉलिसीधारकों को वित्तीय नुकसान से बचाने और उनके लिए लॉन्ग टर्म बेनिफिट बढ़ाने के लिए व्यवस्था स्थापित करें।