क्या आप कम भाव पर दिग्गज कंपनियों के शेयरों में इनवेस्ट करना चाहते हैं? अगर हां तो आपके लिए शानदार मौका है। निफ्टी 50 (Nifty 50) में शामिल 25 कंपनियों के शेयर सस्ते में मिल रहे हैं। इसकी वजह हाल में शेयर बाजार में आई गिरावट है। पिछले साल अक्टूबर में इंडियन स्टॉक मार्केट्स रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए थे।
मार्केट में उपलब्ध सस्ता शेयरों की लिस्ट में एक्सिस बैंक (Axis Bank), बीपीसीएल (BPCL), आईओसी (IOC), सिप्ला (Cipla), कोल इंडिया (CIL), भारती एयरटेल (Bharti Airtel), ग्रासिम इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank), हीरो मोटोकार्प (Hero MotoCorp) सहित कई और कंपनियां शामिल हैं। ये सभी ऐसी कंपनियां हैं, जो अपने सेक्टर में टॉप पॉजिशन पर हैं। इनकी बुनियाद मजबूत है।
एनएसई का मुख्य सूचकांक निफ्टी 1 अक्टूबर, 2021 को 17,532 अंक पर था। 2 मार्च को यह गिरकर 16,605 अंक पर गया। इस दौरान यह करीब 4.5 फीसदी गिर चुका है। इस साल की शुरुआत से ही बाजार में बहुत उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। विदेशी इनवेस्टर्स लगातार इंडियन मार्केट्स से पैसे निकाल रहे हैं। बताया जाता है कि अमेरिका में इंट्रेस्ट रेट्स बढ़ने की उम्मीद में वे इंडिया सहित उभरते बाजारों से पैसे निकाल रहे हैं।
इधर, करीब एक हफ्ते से यूक्रेन क्राइसिस की वजह से स्टॉक मार्केट्स डरा हुआ है। इस वजह से इनवेस्टर्स बिकवाली कर रहे हैं। उन्हें डर है कि अगर यह क्राइसिस बढ़ता है तो इसका असर दुनियाभर की इकोनॉमी पर पड़ना तय है। यही वजह है कि इसके चलते दुनियाभर के बाजार दबाव में हैं।
बाजार में आई गिरावट से कई कंपनियों का पीई मल्टीपल उसके लंबी अवधि के औसत से नीचे आ गया है। जेएसडब्ल्यू स्टील का 12 महीने का ट्रेलिंग पीई 8.39 गुना है। यह 10 साल के इसके औसत 14.17 गुना पीई से करीब 40 फीसदी कम है। कोटक महिंद्रा बैंक का 10 साल का औसत पीई मल्टीपल 50.92 फीसदी है। यह घटकर 48.83 पर आ गया है। महिंद्रा एंड महिंद्रा, एनटीपीसी, ओएनजीसी, एसबीआई, सन फार्मा, टाटा मोटर्स, पावर ग्रिड के पीई भी लंबी अवधि के औसत से नीचे आ गए हैं।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मौजूदा माहौल में इनवेस्टर्स को सिर्फ मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों में इनवेस्ट करनी चाहिए। इसकी वजह यह है कि अभी मुश्किल वक्त है। रूस-यूक्रेन कनफ्लिक्ट जल्द खत्म होता नहीं दिख रहा है। इसका असर ग्लोबल इकोनॉमी पर पड़ेगा। ग्लोबल ट्रेड में कमी आएगी। चीजों की डिमांड घटेगी। क्रूड महंगा होने से कई जरूरी चीजों के दाम बढ़ जाएंगे। इनका असर कंपनियों की कमाई पर पड़ेगा। मजबूत कंपनियां मुश्किल वक्त का सामना करने में सक्षम होती हैं।