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Daily Voice | यूक्रेन-रूस संकट के कारण ऑटो, रियल्टी सहित 7 सेक्टर्स हुए सबसे ज्यादा प्रभावित: Sonam Srivastava of Wright Research

बाजार में उथल-पुथल के बावजूद तेल, मैन्युफैक्चरिंग शेयरों, मेटल, चीनी सेक्टर्स को पॉजिटिव होते देखा गया है

अपडेटेड Mar 12, 2022 पर 1:04 PM
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सोनम श्रीवास्तव ने कहा कि उच्च ब्याज दर के माहौल में बैंकिंग, फाइनेंशियल्स और इंश्योरेंस पर फोकस करना चाहिये क्योंकि इसमें आगे तेजी आयेगी

कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोतरी से भारत के ज्यादातर सेक्टर्स की इनपुट लागत प्रभावित होगी। राइट रिसर्च के संस्थापक सोनम श्रीवास्तव (Sonam Srivastava, founder of Wright Research) ने मनीकंट्रोल (Moneycontrol) को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि आय में गिरावट को देखते हुए ऐसे माहौल में मार्जिन पर कड़े दबाव का सामना करना पड़ेगा। रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, मेटल और एग्रो कमोडिटीज की कीमतों में भारी उछाल आया है।

क्वांटिटेटिव इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट और ट्रेडिंक प्रोफेश्नल सोनम कहती हैं कि सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों के रूप में "ऑटोमोबाइल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, केमिकल, फर्टीलाइजर्स, एफएमसीजी, कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट संकट के कारण कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि के कारण दबाव में रहेंगे।

प्रस्तुत है सोनम श्रीवास्तव से बातचीत के संपादित अंशः

कमोडिटी की कीमतों में भारी उछाल के बाद, क्या आप उम्मीद करती हैं कि अगले वित्तीय वर्ष की पहली छमाही फंडामेंटल आधार पर चुनौतीपूर्ण होगी?


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सोनम ने कहा कि कमोडिटी की कीमतों में तेजी से भारत के ज्यादातर क्षेत्रों के लिए इनपुट लागत पर असर पड़ेगा। कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, मेटल और एग्री कमोडिटी की कीमतों में भारी बढ़त देखी गई है। जहां कच्चा तेल डाउनस्ट्रीम तेल कंपनियों, पेंट केमिकल्स, विमानन और ऑटो सेक्टर्स को प्रभावित करेगा। वहीं दूसरी तरफ मेटल की बढ़ती कीमतों का असर मैन्युफैक्चरिंग, ऑटो बिल्डरों और अन्य मेटल कंज्यूमर्स पर पड़ेगा। अर्निंग में गिरावट को देखते हुए ऐसे माहौल में मार्जिन पर दबाव रहेगा।

हाल की उथल-पुथल में सभी क्षेत्रों में तेज बिकवाली के बाद, दांव लगाने के लिए आपकी पसंद के सेक्टर्स कौन से हैं?

कमोडिटी की कीमतें कुछ हद तक चरम पर पहुंच गई हैं। इसलिए इन सेक्टर्स में भविष्य में सतर्क नजरिया अपनाना चाहिए। वहीं यदि युद्ध आगे नहीं बढ़ता है तो यूएस फेड द्वारा दरों में वृद्धि होगी। इसके बाद बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर उच्च दर के वातावरण में दांव लगाने वाला सेक्टर होगा। दूसरी ओर आईटी और फार्मास्युटिकल्स (IT and Pharmaceuticals) सेक्टर्स में कोई कमोडिटी एक्सपोजर नहीं होने के कारण यहां दांव लगाया जा सकता है।

सबसे ज्यादा जिन सेक्टर्स पर दबाव होगा उसमें Autos, FMCG, chemicals, industrial, manufacturing शामिल हैं।

यूक्रेन-रूस युद्ध और पश्चिमी दुनिया द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद स्थिरता आने पर वे कौन से क्षेत्र हैं जो सबसे अधिक लाभान्वित होंगे या अच्छा प्रदर्शन करेंगे और कौन से क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होंगे?

इसका जवाब देते हुए सोनम ने कहा कि प्रतिबंधों का सबसे महत्वपूर्ण असर कमोडिटी प्राइस इन्फ्लेशन के रूप में नजर है। हमने तेल, मैन्युफैक्चरिंग शेयरों, मेटल, चीनी सेक्टर्स को उथल-पुथल के बावजूद पॉजिटिव होते देखा है। करेंसी डिवैल्यूएशन और विदेशी एक्सपोजर के कारण आईटी और फार्मास्यूटिकल्स सेक्टर्स मजबूत रहे हैं। मेटल या एग्रो कमोडिटीज का निर्यात करने वाली कंपनियों के शेयर पर निवेश करना चाहिए।

वहीं सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले सेक्टर्स पर बोलते हुए सोनम ने कहा कि automobile, consumer durables, chemicals, fertilizers, FMCG, construction, and real estate रूस-यूक्रेन संकट के कारण कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि के चलते दबाव में रहेंगे।

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क्या आपको लगता है कि यह बुल मार्केट करेक्शन है?

सोनम श्रीवास्तन ने कहा कि निश्चित तौर पर बाजार के लिए अच्छे दिन आने वाले हैं। हम ऐतिहासिक रूप से कम वैल्यूशन पर हैं। वहीं भू-राजनीतिक टेंशन के खत्म होने की संभावना है। भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है। वहीं मौजूदा स्थिति के कारण झटका लगने के बावजूद आने वाली तिमाहियों में अच्छे नतीजे आने की उम्मीद है। एक बार जब भू-राजनीतिक स्थिति शांत हो जायेगी तो हम राहत रैली की उम्मीद कर सकते हैं।

(डिस्क्लेमरः Moneycontrol.com पर दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह निवेश विशेषज्ञों के अपने निजी विचार और राय होते हैं। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें। )

 

 

 

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