म्यूचुअल फंड (Mutual fund) इनवेस्टर्स ने मई में थोड़ा सा ब्रेक लेने के बाद जून 2023 में गिल्ड फंडों (Gilt Funds) में जमकर निवेश किया। मई 2023 में जहां गिल्ड फंडों का आउटफ्लो 127 करोड़ रुपये रहा, वहीं जून में म्यूचुअल फंड इनवेस्टर्स ने गिल्ट फंडों में 396 करोड़ रुपये निवेश किए। ऐसे में सवाल यह उठता है कि ऐसे वक्त में जब इनवेस्टर्स की दिलचस्पी फिर से गिल्ड फंडों में बढ़ रही है, क्या इन फंडों में निवेश करना सही होगा?
28 फरवरी, 2023 को 10 साल के बेंचमार्क वाला बॉन्ड यील्ड 7.42 पर्सेंट के हाई लेवल पर पहुंच गया था। इसके बाद यील्ड में गिरावट शुरू हुई, क्योंकि कई निवेशकों ने इंडेक्सेशन का फायदा उठाने के लिए म्यूचुअल फंड के जरिये लॉन्ग टर्म गिल्ट में निवेश शुरू किया। हालांकि, बीते 10 जुलाई को 10 साल की अवधि वाले सरकारी सिक्योरिटीज पर यील्ड बढ़कर 7.16 पर्सेंट पर पहुंच गई। इससे पहले यील्ड जून में थोड़े समय के लिए 7 पर्सेंट के नीचे चली गई थी। लॉन्ग टर्म गिल्ट की मांग में तात्कालिक बढ़ोतरी के बाद फिर से कमी होने के बाद यील्ड बढ़ गई।
10 साल के बेंचमार्क वाली बॉन्ड यील्ड में उतार-चढ़ाव कई चीजों पर निर्भर करता है, मसलन महंगाई दर से जुड़े अनुमान। फिलहाल, बाजार से जुड़े ज्यादातर खिलाड़ियों और रिजर्व बैंक को महंगाई दर में गिरावट की उम्मीद नहीं है। रिजर्व बैंक के मुताबिक, महंगाई दर में गिरावट पर्याप्त नहीं है, लिहाजा उसने ब्याज दरों को स्थिर रखा है। अगले साल ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है और इसका असर लॉन्ग टर्म बॉन्ड यील्ड पर भी देखने को मिल सकता है।
एलआईसी म्यूचुअल फंड (LIC Mutual Fund) में CIO (डेट) मार्जबान ईरानी ने बताया, 'ग्लोबल अनिश्चितताओं, घरेलू स्तर पर बेहतर इकनॉमिक ग्रोथ और महंगाई दर 4.5 पर्सेंट के आसपास होने की वजह से निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती की संभावना नजर नहीं आती। ब्याज दरों में कटौती अगले फाइनेंशियल ईयर में ही हो सकती है। लॉन्ग टर्म बॉन्ड यील्ड से पहले शॉर्ट टर्म यील्ड में गिरावट हो सकती है।' उनके मुताबिक, महंगाई दर में कमी होने से पहले इसमें तेजी आ सकती है।
कॉरपोरेट ट्रेनर, डेट जयदीप सेन का कहना है कि रेपो रेट और 10 साल के बेंचमार्क में औसत अंतर 1 पर्सेंट का है। उन्होंने कहा, 'फिलहाल, यह अंतर 0.65 पर्सेंट है। इसका मतलब यह है कि ट्रेडिंग फायदों के लिए गिल्ड फंड में निवेश करना सही नहीं है।'
बढ़ रही इनवेस्टर्स की दिलचस्पी
मार्च 2023 में गिल्ट फंडों का नेट इनफ्लो 4,430 करोड़ रुपये रहा। डेट फंड यूनिट्स को 3 साल तक रखने के बाद बेचने पर लॉन्ग टर्म गेन के तहत मिलने वाला इंडेक्सेशन बेनिफिट और टैक्स में छूट की सुविधा 31 मार्च 2023 को खत्म हो गई और कई इनेवस्टर्स इस अवसर का फायदा उठाना चाहते थे। लॉन्ग टर्म बॉन्ड यील्ड में गिरावट की वजह से भी कई निवेश गिल्ड फंडों की तरफ आकर्षित हुए। वैल्यू रिसर्च (Value Research) के मुताबिक, गिल्ड फंडों ने 10 जुलाई, 2023 को खत्म साल में 6.89 पर्सेंट का रिटर्न दिया।
गिल्ट फंडों में निवेश बढ़ रहा है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि कैपिटल गेन के जरिये इससे तुरंत पैसा बनाना संभव नहीं है। ईरानी ने बताया, ''10 साल के बेंचमार्क वाली बॉन्ड यील्ड अगर 7.15 से 7.25 पर्सेंट के रेंज में है, तो जानकार इनवेस्टर्स के लिए लॉन्ग टर्म गिल्ट फंड में घुसने का सही समय है। निवेश की अवधि 2-3 साल हो सकती है।'
गिल्ट फंड सरकारी बॉन्ड में निवेश करते हैं और फंड मैनेजर ब्याज दरों को लेकर अपनी राय के आधार पर निवेश की अवधि तय करते हैं। लंबी अवधि वाले निवेश में ब्याज दरों में ज्यादा बदलाव के आसार होंगे। लॉन्ग टर्म बॉन्ड में उतार-चढ़ाव से निपटने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि इनमें लंबी अवधि के नजरिये से निवेश किया जाए। सेन ने बताया 'गिल्ड फंड क्रेडिट रिस्क फ्री प्रॉडक्ट हैं और इन फंडों में ऐसे लोग निवेश कर सकते हैं जो लॉन्ग टर्म नजरिये से निवेश करना चाहते हों।'
हालांकि, सिनर्जी कैपिटल सर्विसेज (Synergee Capital Services) के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम दलाल की राय अलग है। उनका कहना है कि एक साल में मैच्योर होने वाले शॉर्ट टर्म फंड, लॉन्ग टर्म फंडों के मुकाबले बेहतर विकल्प हैं। उन्होंने कहा, 'इनवेस्टर्स के लिए शॉर्ट टर्म निवेश बेहतर होगा। अगर उन्हें यील्ड आकर्षक लगती है, तो वे अगले 6 महीनों में लॉन्ग टर्म फंड या गिल्ड फंड का विकल्प चुन सकते हैं।' अगर आप ब्याज दरों के साइकल की बारीकियों को नहीं समझते हैं या ब्याज दरों में बदलाव से होने वाले उतार-चढ़ाव से बचना चाहते हैं, तो आपके लिए शॉर्ट टर्म डेट फंड में निवेश करना बेहतर होगा।