काफी संख्या में लोग बचत यानी सेविंग्स के जरिए करोड़पति बनने की ख्वाहिश रखते हैं। हालांकि शायद ही कोई यह जानता हो कि 50,000 रुपये प्रति महीने की सैलरी पर भी ऐसा करना संभव है। यह सुनने में भले ही थोड़ा हैरानी भरा लगा, लेकिन अगर आपने चक्रवृद्धि ब्याज की ताकत को समझ लिया, तो आप आसानी से 15 सालों में इस लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं। इसके लिए आपको 8-4-3 के नियम को अपनाना होगा। साथ ही इस पूरी अवधि के दौरान निवेश में अनुशासन बनाए रखना होगा। आइए समझते हैं कि कैसे 8-4-3 का फार्मूला, चक्रवृद्धि ब्याज के साथ मिलकर किसी को करोड़पति बनने में मदद कर सकता है।
चक्रवृद्धि ब्याज यानी कंपाउंडिंग की ताकत क्या है?
कंपाउंडिंग निवेश का वह तरीका है, जिससे साल दर साल तेजी से पैसा बढ़ता है। इस तरीके में निवेश पर मिलने वाले ब्याज को निकाला नहीं जाता है, बल्कि उसे वापस निवेश कर दिया जाता है। इससे हर साल निवेश की राशि बढ़ती जाती है और उस पर मिलने वाला ब्याज भी उसी के मुताबिक बढ़ता जाता है। इस तरीके के काफी कम समय में पैसा कई गुना बढ़ जाता है।
8-4-3 का फॉर्मूला कंपाउंडिंग से जुड़ा हुआ है। इस फॉर्मूले को अपना कर निवेशक अपने पैसे पर तेजी से रिटर्न पा सकता है। आइए इसे एक उदाहरण से समझते हैं:
मान लीजिए किसी की सैलरी 50,000 रुपये है। इसमें से वह करीब 40% यानी 20,000 रुपये किसी ऐसे जगह पर निवेश करता है, जहां उसे औसतन सालाना 12 फीसदी ब्याज मिलता है। इस तरह से वह आठ साल में 32 लाख रुपये कमा सकता है। यानी पहले 32 लाख रुपये आठ साल में मिलते हैं, लेकिन अगले 32 लाख रुपये उसी ब्याज दर पर चार साल में मिलेंगे। इस तरीके से 12 साल बाद उसे 64 लाख रुपये का रिटर्न मिल सकता है।
अब, अगर कोई व्यक्ति तीन और साल के लिए अपने निवेश को उसी तरह छोड़ देता है और 20,000 रुपये का निवेश जारी रखता है, तो इन 3 सालों में उसके निवेश की कुल वैल्यू 64 लाख रुपये से बढ़कर 1 करोड़ रुपये हो जाएगी।
हालांकि, किसी भी एसेट्स (शेयर, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड, बैंक एफडी, गोल्ड और दूसरी इनवेस्टमेंट स्कीमों) में पैसा लगाने से पहले, लोगों को किसी सर्टिफाइड इनवेस्टमेंट एडवाइजर्स से परामर्श लेने की सलाह दी जाती है।