इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने फर्जी डिडक्शन क्लेम के मामलों के खिलाफ अपनी सख्ती बढ़ा दी है। वह सैलरीड टैक्सेपयर्स की इनकम और खर्च पर नजर रखने के लिए एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (एआईएस) का इस्तेमाल कर रहा है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की भी मदद ली जा रही है। इसका असर सैलरीड टैक्सपेयर्स पर पड़ा है। टैक्सपेयर्स फाइनेंशियल ईयर 2024-25 का इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में सावधानी बरत रहे हैं।
फर्जी डिडक्शन क्लेम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई
टैक्स कनेक्ट एडवायजरी के पार्टनर विवेक जैन ने कहा, "पहले Income Tax Department की ज्यादा नजर सैलरीड टैक्सपेयर्स पर नहीं होती थी। लेकिन, पिछले कुछ सालों में स्थिति बदली है। आईटी डिपार्मेंट के डिडक्शन के फर्जी क्लेम के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की खबरें आ रही हैं। इससे अब टैक्सपेयर्स सिर्फ तभी डिडक्शन क्लेम कर रहे हैं, जब उनके पास इसे साबित करने के लिए सबूत उपलब्ध हैं। वे अपने डॉक्युमेंट्स में किसी तरह की कमी नहीं चाहते।"
इनकम टैक्स फॉर्म्स में भी डिसक्लोजर्स बढ़ाए गए
चार्टर्ड अकाउंटेंट अखिल पचौरी ने कहा, "कई सैलरीड टैक्सपेयर्स डोनेशन के अमाउंट को बढ़ा देते थे। खासकर राजनीतिक दलों को डोनेशन के मामले में ऐसा होता था। इस साल डोनेशन के क्लेम में काफी दिखने को मिल रही है। इनकम टैक्स के नोटिस और छापों का डर इसकी वजह हो सकती है।" इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नए आईटीआर फॉर्म्स में डिसक्लोजर भी बढ़ाए हैं। इनमें सेक्शन 80सी, 80डी और हाउस रेंट अलाउन्स क्लेम करने के लिए डिटेल जानकारी अनिवार्य बना दी गई है।
नई टैक्स रीजीम में बढ़ी टैक्सपेयर्स की दिलचस्पी
कई टैक्सपेयर्स ने तो डिडक्शन क्लेम करने के झंझट से बचने के लिए इनकम टैक्स की नई रीजीम का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। नई रीजीम में ज्यादातर डिडक्शन का फायदा नहीं मिलता है। लेकिन, इसका इस्तेमाल काफी आसान है। इसमें टैक्स के स्लैब भी ज्यादा हैं। ज्यादातर टैक्सपेयर्स के लिए नई रीजीम का इस्तेमाल करना फायदेमंद है। इसमें उनकी टैक्स लायबिलिीट कम बनती है। सरकार भी ज्यादा से ज्यादा टैक्सपेयर्स को नई रीजीम के तहत लाना चाहती है। कई सैलरीड टैक्सपेयर्स तो अप्रैल 2024 में ओल्ड रीजीम सेलेक्ट करने के बावजूद इस बार नई रीजीम में रिटर्न फाइल कर रहे हैं।
FY2024 में 70% टैक्सपेयर्स ने नई रीजीम का इस्तेमाल किया था
फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में 70 फीसदी से ज्यादा टैक्सपेयर्स ने नई रीजीम का इस्तेमाल किया था। एक अनुमान के मुताबिक, इस फाइनेंशियल ईयर में यह संख्या और बढ़ सकती है। कई चार्टर्ड अकाउंटेंट ने बताया कि सैलरीड टैक्सपेयर्स को हर साल रीजीम में बदलाव करे की इजाजत है। कई टैक्सपेयर्स इस नियम का फायदा उठा रहे हैं। वे रिटर्न फाइल करने के समय नई रीजीम को सेलेक्ट कर रहे हैं। ऐसे टैक्सपेयर्स का अगर ज्यादा टीडीएस कटा है तो उसे रिफंड मिल जाएगा।