इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने की डेडलाइन कुछ हफ्ते दूर है। इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को फाइनेंशियल ईयर 2023-24 का आईटीआर फाइल करने की तैयारी अभी से शुरू कर देनी चाहिए। टैक्सपेयर को आईटीआर-1 (सहज), आईटीआर-2, आईटीआर-3 और आईटीआर-4 (सुगम) में से अपने लिए सही फॉर्म का चुनाव करना होगा। एंप्लॉयर्स ने अपने एंप्लॉयीज को फॉर्म 16 जारी कर दिए होंगे। सैलरीड एंप्लॉयीज को रिटर्न फाइल करने के लिए फॉर्म-16 जरूरी है।
बैंकों ने भी टैक्स डिडक्शन सर्टिफिकेट्स के लिए एक्सेस दे दिए होंगे। बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट और सेविंग्स अकाउंट में जमा पैसे पर मिला इंटरेस्ट एक सीमा से ज्यादा होने पर टीडीएस काटते हैं। टैक्सपेयर्स को फॉर्म 16 (Form-16), टीडीएस सर्टिफिकेट (TDS Certificate) और कैपिटल गेंस स्टेटमेंट (Capital Gains Statement) डाउनलोड करने के बाद ही रिटर्न फाइल करने के लिए प्रोसेस शुरू करना चाहिए।
आईटीआर-1 और आईटीआर-2: सैलरीड टैक्सपेयर्स के लिए
यह फॉर्म प्री-फिल्ड होता है। इसमें पर्सनल इंफॉर्मेशन, इनकम डिटेल और फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन के डेटा पहले से भरे होते हैं। लेकिन, टैक्सपेयर को पहले से भरे गए डेटा को अपने फॉर्म 16, फॉर्म 26 एएस और एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट से मिला लेना चाहिए। उसके बाद ही ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने का प्रोसेस करना चाहिए।
आईटीआर-2: कॉम्प्लेक्स फाइनेंशियल डीलिंग्स
अगर आप सैलरीड इंडिविजुअल हैं यानी आपकी इनकम का स्रोत सैलरी है और आपकी सैलरी 50 लाख रुपये से ज्यादा है, आपकी बिजनेस या प्रोफेशन से इनकम नहीं है। इनकम के एक से ज्यादा स्रोत हैं, फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन हैं तो आप आईटीआर-1 का इस्तेमाल नहीं कर सकते। इसका मतलब यह है कि अगर आप आईटीआर-1 का इस्तेमाल नहीं कर सकते तो आपको आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना होगा।
उदाहरण के लिए अगर आप रेजिडेंट या नॉन-रेजिडेंट हैं लेकिन ऑर्डनरिली रेजिडेंट (RNOR) नहीं हैं और सैलरीड इंडिविजुअल और पेंशनर्स हैं तो आप आईटीआर-2 का इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर फाइनेंशियल ईयर के दौरान किसी तरह का कैपिटल गेंस हुआ तो भी आपको इसी फॉर्म का इस्तेमाल करना होगा। अगर आप किसी कंपनी में डायरेक्टर हैं, आपके पास अनलिस्टेड कंपनी के स्टॉक्स या ईसॉप्स हैं और आपका विदेश में बैंक अकाउंट और प्रॉपर्टी है तो आपको आईटीआर-2 का इस्तेमाल करना होगा।
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आईटीआर-3: बिजनेस करने वालों के लिए
ऐसे इंडिविजुअल जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से इनकम है तो उन्हें इस फॉर्म का इस्तेमाल करना होगा। आपकी इनकम के दूसरे स्रोतों में सैलरी या पेंशन, कैपिटल गेंस, हाउस प्रॉपर्टी आदि हो सकते हैं। आसान शब्दों में कहा जा सकता है कि ऐसे इंडिविजुअल्स जो आईटीआर-1, आईटीआर-2 और आईटीआर-4 का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, वे आईटीआर-3 का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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ITR-4(सुगम): छोटे कारोबारी और प्रोफेशनल्स के लिए
रेजिडेंट इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) या फर्में (लेकिन एलएलपी नहीं) जिनकी इनकम 50 लाख रुपये तक है वे इस फॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। सुगम के इस्तेमाल से रिटर्न फाइल करना अनिवार्य नहीं है। यह एक विकल्प है, जो छोटे कारोबारी या प्रोफेशनल्स को दिया गया है। इस फॉर्म को फाइल करना आसान है और इसमें डॉक्युमेंट्स की कम जरूरत पड़ती है। इस फॉर्म का इस्तेमाल कर आप बिजनेस या प्रोफेशन से प्रिज्म्पटिव बेसिस पर अपनी इनकम डेक्लेयर कर सकते हैं। प्रिज्म्पटिव इनकम डेक्लेरेशन की इजाजत सेक्शन 44एडी, 44डीए और 44एई के तहत दी गई है।