ITR Filing 2025: सभी इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म नोटिफाई, जानिए क्या हुए हैं अहम बदलाव
ITR Filing 2025: CBDT ने असेसमेंट ईयर 2025–26 के लिए सभी ITR फॉर्म्स जारी किए हैं। कुछ बदलावों से टैक्सपेयर्स को राहत मिली है, तो कुछ में सख्ती बढ़ाई गई है। पूरी डिटेल के लिए पढ़ें यह खबर।
ITR-1 अब तक की तरह ₹50 लाख तक की आय वाले रेजिडेंट इंडिविजुअल्स के लिए लागू रहेगा।
ITR Filing 2025: सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने असेसमेंट ईयर 2025–26 (वित्त वर्ष 2024–25) के लिए सभी आयकर रिटर्न (ITR) फॉर्म नोटिफाई कर दिए हैं। फॉर्म्स के स्ट्रक्चर में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन फाइनेंस एक्ट 2024 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण संशोधन शामिल किए गए हैं।
इन बदलावों में सबसे प्रमुख हैं- छोटे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर राहत, संपत्ति और देनदारी की रिपोर्टिंग की बढ़ी सीमा, और पूंजीगत लाभ की अधिक विस्तृत रिपोर्टिंग।
ITR-1 (सहज): छोटे निवेशकों के लिए LTCG राहत
ITR-1 अब तक की तरह ₹50 लाख तक की आय वाले रेजिडेंट इंडिविजुअल्स के लिए लागू रहेगा, जिनकी आय वेतन, एक मकान और अन्य स्रोतों से है। नई व्यवस्था के तहत, अब टैक्सपेयर्स ₹1.25 लाख तक के LTCG (धारा 112A के अंतर्गत) भी ITR-1 में रिपोर्ट कर सकेंगे।
ITR-2: पूंजीगत लाभ की विस्तृत रिपोर्टिंग अनिवार्य
ITR-2 उन इंडिविजुल्स के लिए है जिनके पास कई संपत्तियां, विदेशी परिसंपत्तियां या पूंजीगत लाभ हैं। अपडेटेड फॉर्म में:
23 जुलाई 2024 से पहले और बाद के LTCG की अलग-अलग रिपोर्टिंग करनी होगी।
अनलिस्टेड बॉन्ड/डेबेंचर को होल्डिंग पीरियड के अनुसार अलग दिखाना होगा।
बायबैक से मिली रकम (1 अक्टूबर 2024 के बाद) को “अन्य स्रोत से आय” व कैपिटल गेन्स सेक्शन में "शून्य मूल्य" पर दिखाना होगा।
अब संपत्ति और देनदारी की रिपोर्टिंग सीमा ₹1 करोड़ (पहले ₹50 लाख) कर दी गई है।
ITR-3: महंगे लेनदेन की निगरानी
ITR-3 उन इंडिविजुअल्स और HUFs के लिए है, जो व्यवसाय या पेशे से कमाई करते हैं। इसमें अब पुराना या नया टैक्स रीजीम चुनने की जानकारी अनिवार्य कर दी गई है (Form 10-IE या 10-IEA)। बिजनेस से जुड़े विस्तृत खुलासे जैसे लाभ, हानि और विदेशी आय की जानकारी देनी होगी। साथ ही,उच्च मूल्य वाले लेनदेन अब स्पष्ट रूप से रिपोर्ट करने होंगे। जैसे कि:
₹1 करोड़ से अधिक कैश डिपॉजिट
₹2 लाख से ज्यादा की विदेश यात्रा
₹1 लाख से अधिक बिजली खर्च
₹10 लाख से ऊपर के क्रेडिट कार्ड बिल
ITR-4 (सुगम): अनुमानित करदाताओं को LTCG में राहत
ITR-4 अनुमानित आय (Presumptive Income) पर टैक्स भरने वालों के लिए है। यह फॉर्म अब टैक्सपेयर्स को ₹1.25 लाख तक के LTCG (धारा 112A) की रिपोर्टिंग की सुविधा देता है। यह फॉर्म इंडिविजुअल्स, HUFs और नॉन-LLP फर्मों के लिए लागू होता है।
ITR-5: वेरिफिकेशन प्रक्रिया
जिन टैक्सपेयर्स ने अपने ITR को ई-वेरिफाई नहीं किया, वे अब भी ITR-V फॉर्म प्रिंट कर, हस्ताक्षर करके 30 दिन के भीतर बेंगलुरु के CPC ऑफिस को स्पीड पोस्ट से भेज सकते हैं। ई-वेरिफिकेशन आधार OTP, नेट बैंकिंग या मान्य डीमैट/बैंक अकाउंट से भी किया जा सकता है।
ITR-6: बायबैक लॉस पर नया नियम
6 मई 2025 को अधिसूचित ITR-6, उन कंपनियों के लिए है जो छूट का दावा नहीं करतीं। इसमें भी कुछ अहम बदलाव किए गए हैं:
23 जुलाई 2024 के पहले और बाद की पूंजीगत लाभ रिपोर्टिंग को अलग-अलग दिखाना जरूरी किया गया है।
बायबैक से जुड़े नुकसान तभी मान्य होंगे, जब संबंधित डिविडेंड आय 1 अक्टूबर 2024 के बाद घोषित की गई हो।
क्रूज ऑपरेटर्स (धारा 44BBC) और हीरा कारोबार से जुड़े लाभ (कम से कम 4% ग्रॉस रिसीप्ट) के लिए अलग से रिपोर्टिंग व्यवस्था जोड़ी गई है।
TDS कोड और शेड्यूल BP की विस्तृत जानकारी अब अनिवार्य कर दी गई है।
ITR-7: ट्रस्ट्स और संस्थाओं के लिए सख्त खुलासे
9 मई को अधिसूचित ITR-7 उन संस्थाओं के लिए है जो धारा 139(4A) से 139(4D) के तहत टैक्स रिटर्न भरती हैं, जैसे चैरिटेबल ट्रस्ट, राजनीतिक दल और अनुसंधान संस्थान। इस फॉर्म के बदलावों में शामिल हैं:
पूंजीगत लाभ को 23 जुलाई से पहले और बाद के हिसाब से अलग रिपोर्ट करना होगा।
बायबैक से हुए घाटे को डिविडेंड आय के साथ जोड़कर स्पष्ट करना होगा।
हाउसिंग लोन पर ब्याज छूट (धारा 24(b)) की रिपोर्टिंग भी अब जरूरी होगी।
TDS सेक्शन कोड का खुलासा बेहतर टैक्स ऑडिट के लिए जोड़ा गया है।