इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इस महीने की शुरुआत में आईटीआर फॉर्म्स रिलीज कर दिए थे। कुछ आईटीआर फॉर्म्स में बदलाव किए गए हैं। कैपिटल गेंस के नए नियमों के हिसाब से भी फॉर्म में बदलाव किए गए हैं। सरकार ने यूनियन बजट 2024 में कैपिटल गेंस के नियमों में बदलाव का ऐलान किया था। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अभी अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर आईटीआर की ऑनलाइन फाइलिंग के लिए यूटिलिटीज रिलीज नहीं किए हैं। दूसरा, नौकरी करने वाले लोगों को अभी एंप्लॉयर्स की तरफ से फॉर्म 16 भी नहीं मिला है।
अभी से डॉक्युमेंट्स जुटाना शुरू कर दें
इसके बावजूद आपको अभी से जरूरी डॉक्युमेंट्स जुटाने शुरू कर देना चाहिए। कई लोग यह सोचते हैं कि जब Income Tax Return फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई है तो अभी से कोई चिंता की जाए। लेकिन, यह सोच सही नहीं है। सबसे पहले तो आपको यह चेक कर लेना चाहिए कि आपको किस आईटीआर फॉर्म का इस्तेमाल करना है। इस साल ऐसे टैक्सपेयर्स भी ITR-1 (सहज) का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिनका कैपिटल गेंस है। हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें हैं। जैसे-अगर शेयर या म्यूचुअल फंड की यूनिट्स बेचने से आपका कैपिटल गेंस पूरे वित्त वर्ष में 1.25 लाख रुपये से कम है और आपको किसी लॉस को कैरी-फॉरवर्ड नहीं करना है तो आप आईटीआर-1 का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सही आईटीआर का चुनाव करना जरूरी है
अगर किसी टैक्सपेयर ने रिटर्न फाइल करने के लिए गलत आईटीआर फॉर्म का इस्तेमाल किया तो उसके रिटर्म को डिफेक्टिव माना जा सकता है। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि इनकम टैक्स फाइलिंग को अंतिम वक्त के लिए टालना ठीक नहीं है। अंतिम वक्त में रिटर्न फाइल करने में कई बार टैक्सपेयर हड़बड़ी करता है। इसमें गलती होने की गुंजाइश बढ़ जाती है। अगर आपके रिटर्न फाइल करने में गलती कर दी तो फिर आपकी पूरी मेहनत बेकार हो जाती है।
इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए निम्नलिखित जरूरी डॉक्युमेंट्स हैं:
-बैंक का टीडीएस सर्टिफिकेट
-आधार और पैन (दोनों का लिंक होना जरूरी है)
-एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS)
-फॉर्म 16 (एंप्लॉयर इश्यू करता है)
-सैलरी स्लिप (विदेश से हुई इनकम भी)
-रेंट एंग्रीमेंट (एचआरए क्लेम करने के लिए)
किसी रीजीम का इस्तेमाल करना है?
यह ध्यान में रखना जरूरी है कि इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स रिटर्न फाइल करने के वक्त भी अपनी इनकम टैक्स रीजीम में बदलाव कर सकते हैं। इस साल 1 फरवरी को पेश बजट में सरकार ने सालाना 12 लाख रुपये तक की इनकम को टैक्स-फ्री करने का ऐलान किया। इससे इनकम टैक्स की नई रीजीम में टैक्सपेयर्स की ज्यादा दिलचस्पी हो सकती है।
ओल्ड रीजीम के लिए इनवेस्टमेंट प्रूफ चाहिए
अगर आपने पुरानी रीजीम के इस्तेमाल का फैसला किया है तो टैक्स-सेविंग्स इनवेस्टमेंट पर डिडक्शन क्लेम करने के लिए आपको कई डॉक्युमेंट्स की जरूरत पड़ेगी। अगर आपने इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत डिडक्शन का फायदा उठाने के लिए म्यूचुअल फंड की टैक्स स्कीम, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, एनपीएस आदि में इनवेस्ट किया है तो उसका प्रूफ जरूरी है।
यह भी पढ़ें: अमेरिका की रेटिंग घटने से US बॉन्ड में इनवेस्ट करने वाले म्यूचुअल फंड्स की स्कीमों पर कितना असर पड़ेगा?
अगर आपने मेडिकल पॉलिसी खरीदी है तो उस पर आपको सेक्शन 80डी के तहत डिडक्शन मिलेगा। लेकिन, इसके लिए आपको प्रीमियम पेमेंट सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ेगी। अगर आपने होम लोन लिया है और इंटरेस्ट पर डिडक्शन क्लेम करना चाहते हैं तो इसके लिए बैंक से इंटरेस्ट पेमेंट का सर्टिफिकेट लेना होगा।