Income Tax के इन 5 नियमों को समझ लीजिए, कम हो जाएगी आपकी टैक्स देनदारी

ITR Filing: नया वित्त वर्ष शुरू होते ही टैक्सपेयर्स के लिए सही टैक्स प्लानिंग जरूरी हो जाती है। आइए जानते हैं 5 अहम इनकम टैक्स नियम, जो आपकी टैक्स देनदारी को कम करने में मदद कर सकते हैं।

अपडेटेड Apr 23, 2025 पर 4:18 PM
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इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की कई अहम धाराएं हैं, जिन्हें सही से समझने पर आपकी टैक्स देनदारी कम हो सकती है।

ITR Filing 2025: नया वित्त वर्ष यानी 2025-26 शुरू हो चुका है। टैक्सपेयर्स के लिए यह समय सिर्फ इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने का नहीं, बल्कि सही टैक्स प्लानिंग करने का भी होता है। इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की कई अहम धाराएं हैं, जिन्हें सही से समझने पर आपकी टैक्स देनदारी कम हो सकती है। साथ ही, भविष्य में होने वाली परेशानियों से भी बचा सकता है।

हम आपको पांच ऐसे इनकम टैक्स प्रावधान (Sections) के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें हर टैक्सपेयर्स के लिए जानना जरूरी है:

1. सेक्शन 80C: ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट


इनकम टैक्स का सेक्शन 80C सबसे चर्चित टैक्स बचत विकल्प है। इसके तहत टैक्सपेयर्स सालाना अधिकतम ₹1.5 लाख तक की छूट हासिल कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए कुछ खास योजनाओं में निवेश करना होता है। जैसे कि सुकन्या समृद्धि योजना, 5 साल की टैक्स सेविंग एफडी, जीवन बीमा प्रीमियम, PPF, EPF और ELSS आदि।

इसके अलावा बच्चों की स्कूल फीस और होम लोन की मूलधन राशि की अदायगी भी इसमें शामिल है। हालांकि, आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि ₹1.5 लाख की टैक्स छूट सभी निवेशों को मिलाकर मिलती है। ऐसा नहीं है कि आपको हर निवेश पर ₹1.5 लाख तक टैक्स छूट मिलेगी।

2. सेक्शन 24(b): होम लोन पर ब्याज की छूट

अगर किसी शख्स ने होम लोन लिया है और वह खुद उस घर में रहता है, तो वह सालाना ₹2 लाख तक के ब्याज पर टैक्स छूट ले सकता है। यदि प्रॉपर्टी किराए पर दी गई है, तो पूरी ब्याज रकम क्लेम की जा सकती है। हालांकि, अन्य इनकम से सेट-ऑफ की सीमा ₹2 लाख ही है।

जैसे कि आपने होम लोन पर साल भर में ₹5 लाख का ब्याज चुकाया। लेकिन, आपको किराया ₹2 लाख ही मिला। इसका मतलब कि आपको ₹3 लाख का घाटा हुआ। ऐसे में आप अपनी दूसरी इनकम, जैसे कि सैलरी या बिजनेस से ₹2 लाख का नुकसान सेट-ऑफ कर सकते हैं। बाकी ₹1 लाख का नुकसान अगले 8 साल तक कैरी फॉरवर्ड होगा

3. सेक्शन 10(14): किराए के मकान वालों के लिए HRA छूट

अगर आप किसी कंपनी में काम करते हैं और किराए के मकान में रहते हैं, तो आपको मिलने वाला House Rent Allowance (HRA) आपकी टैक्स बचत में मदद कर सकता है। इसके लिए इनकम टैक्स की धारा 10(14) के तहत टैक्स छूट दी जाती है, लेकिन कुछ नियमों के साथ। आपको मिलने वाली छूट इन तीन में से सबसे कम रकम पर दी जाती है:

  • असल में मिला HRA (जैसा कि आपकी सैलरी स्लिप में दिखता है)
  • मेट्रो शहरों (दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई) में वेतन का 50% या गैर-मेट्रो शहरों में 40%
  • किराया - बेसिक सैलरी का 10%

यानी छूट के लिए इन तीनों का हिसाब लगाया जाएगा और जो रकम सबसे कम होगी, वही टैक्स से छूट के रूप में मान्य होगी। अगर सालाना किराया ₹1 लाख से अधिक है, तो मकान मालिक का PAN देना जरूरी रहता है।

4. सेक्शन 80D: स्वास्थ्य बीमा पर छूट

इनकम टैक्स का सेक्शन 80D काफी अहम है, जो टैक्सपेयर्स को हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर छूट की सुविधा देता है। इसके तहत टैक्सपेयर अपने, जीवनसाथी और बच्चों के लिए ₹25,000 तक की टैक्स छूट क्लेम कर सकता है। अगर माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं (60 साल या उससे अधिक), तो ₹50,000 की अतिरिक्त छूट मिलती है।

इस तरह कुल अधिकतम छूट ₹75,000 से ₹1 लाख तक हो सकती है। इसमें ₹5,000 तक की प्रिवेंटिव हेल्थ चेकअप की रकम भी शामिल की जा सकती है, जो कुल सीमा में ही गिनी जाती है।

5. सेक्शन 234F: ITR देर से भरने पर भारी जुर्माना

इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) समय पर फाइल नहीं करने पर सेक्शन 234F के तहत जुर्माना लगाया जाता है। अगर आपकी आय ₹5 लाख से कम है तो ₹1,000 का जुर्माना, और ₹5 लाख से अधिक पर ₹5,000 का जुर्माना लग सकता है।

इसके अलावा बार-बार देरी करने पर सेक्शन 234A और 234B के तहत ब्याज और अन्य जुर्माना भी देना पड़ सकता है। साथ ही, रिफंड और कैरी फॉरवर्ड लाभों से भी हाथ धोना पड़ सकता है।

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