Multi-Cap vs Flexi-Cap: भारतीय निवेशकों के बीच इक्विटी म्यूचुअल फंड्स की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में मल्टी कैप (Multi-Cap) और फ्लेक्सी कैप (Flexi-Cap) फंड्स दो अहम विकल्प बनकर उभरे हैं। दोनों स्कीम्स में बीते तीन महीनों के दौरान निवेशकों ने काफी पैसा लगाया है।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के मई 2025 के आंकड़ों के मुताबिक, मल्टी-कैप फंड्स में ₹2,999.29 करोड़ और फ्लेक्सी-कैप फंड्स में ₹3,841.32 करोड़ का नेट इनफ्लो दर्ज किया गया।
आइए समझते हैं कि मल्टी-कैप और फ्लेक्सी-कैप में क्या अंतर है और आपकी निवेश रणनीति के हिसाब से कौन-सा फंड बेहतर रहेगा।
Multi-Cap vs Flexi-Cap: क्या अंतर है
Indira Group में मैनेजिंग डायरेक्टर नवी विजय रामावत (Navy Vijay Ramavat) के मुताबिक, मल्टी-कैप फंड्स एक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के तहत चलते हैं। इसमें SEBI के निर्देशानुसार- लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में 25%-25% निवेश जरूरी होता है।
इससे बेशक डाइवर्सिफिकेशन सुनिश्चित होता है, लेकिन फंड मैनेजर की निर्णय क्षमता सीमित हो जाती है। बाजार के उतार-चढ़ाव में यह रणनीति कभी-कभी जोखिम को बढ़ा भी सकती है।
इसके मुकाबले, फ्लेक्सी-कैप फंड्स ज्यादा लचीलापन देते हैं। इनमें फंड मैनेजर को किसी खास कैटेगरी में निवेश का बंधन नहीं होता, बशर्ते कुल पोर्टफोलियो का कम से कम 65% हिस्सा इक्विटी में निवेश किया गया हो। इसका मतलब है कि बाजार की स्थिति के अनुसार, मैनेजर किसी भी समय लार्ज, मिड या स्मॉल कैप में अपना रुख बदल सकता है।
क्या फ्लेक्सी-कैप देगा बेहतर रिटर्न?
इंदिरा ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर नवि विजय रामावत का मानना है कि फ्लेक्सी-कैप फंड्स मौकों का बेहतर लाभ उठाने की सुविधा देते हैं। उनके अनुसार, "मार्केट कैप से ज्यााद महत्वपूर्ण सेक्टर की चाल होती है। फ्लेक्सिबिलिटी निवेश को ज्यादा प्रभावी बनाती है। यहां तक कि कैश पोजिशन भी रणनीतिक हो सकती है।”
Finkeda के चेयरमैन और एमडी मनीष कुमार गोयल के मुताबिक, “मल्टी-कैप फंड्स उन निवेशकों के लिए उपयुक्त हैं, जो एक बैलेंस्ड और नियमबद्ध अप्रोच चाहते हैं। वहीं, फ्लेक्सी-कैप फंड्स उन निवेशकों के लिए बेहतर हैं जो बाजार ट्रेंड्स के हिसाब से अलोकेशन में बदलाव चाहते हैं।”
Multi-Cap vs Flexi-Cap: किसमें करें निवेश?
निवेशकों के लिए यह समझना जरूरी है कि ये दोनों स्कीमें अपने-अपने फाइनेंशियल टारगेट्स और जोखिम प्रोफाइल के आधार पर चुनी जानी चाहिए। जहां मल्टी-कैप स्थिरता और संतुलन देता है, वहीं फ्लेक्सी-कैप अवसरों का लाभ उठाने का लचीलापन देता है। ऐसे में आपको अपनी प्राथमिकता और सहूलियत के हिसाब से फंड का चुनाव करना चाहिए।