सरकार ने नया इनकम टैक्स बिल संसद में पेश कर दिया है। इसे आप डाउनलोड कर सकते हैं। इससे बिल में संभावित बदलाव से जुड़ी अटकलों पर विराम लग गया है। अच्छी खबर यह है कि इस बिल में नियमों में ज्यादा बदलाव नहीं किया गया है। इसका मतलब है कि मौजूदा टैक्स सिस्टम में स्टैबिलिटी बनी रहेगी। खास बात यह है कि नए कोड में इनकम टैक्स की ओल्ड रीजीम को बनाए रखा गया है। कई सालों से चर्चा का विषय रहें एग्रीकल्चर इनकम और इनहेरिटेंस टैक्स जैसे मसलों को भी छेड़ा नहीं गया है।
मेरा मानना है कि इनकम टैक्स (Income Tax) के नियमों में बड़ा बदलाव नहीं कर सरकार ने रिस्क नहीं लिया है। नए कानून लंबे नहीं हैं। इसकी बड़ी वजह यह है कि एग्जेम्प्शंस और टीडीएस जैसे नियमों को टेबल में पेश किया गया है। इससे इन्हें समझने में आसानी होगी। इसके अलावा, डिजिटल ट्रांजैक्शन और ऑनलाइन इनकम पर टैक्स के नियमों को पारदर्शी बनाने की कोशिश की गई है। इससे ऐसा टैक्स सिस्टम सामने आया है, जो विकसित हो रही डिजिटल इकोनॉमी के अनुकूल है। नए कानून में एआई-आधारित टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन पर जोर दिया गया है। साथ ही सर्च और सीजर ऑपरेशन के मामले में इनकम टैक्स डिपार्टमें को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं।
नए इनकम टैक्स बिल में एक बड़ा बदलाव यह है कि 'एसेसमेंट ईयर' और 'प्रीवियस ईयर' जैसे पारंपरिक शब्दों की इस्तेमाल की जगह एक टर्म 'टैक्स ईयर' का इस्तेमाल किया गया है। इससे टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना आसान हो जाएगा, क्योंकि कई फाइनेंशियल रेफरेंसेज को लेकर कनफ्यूजन खत्म हो जाएगा। इसके अलावा इस बिल में सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) की ताकत बढ़ाई गई है। इसे नियम बनाने और कानून को लागू करने के लिए ज्यादा अधिकार दिए गए हैं। इससे आने टैक्स को लेकर आने वाले चैलेंज से निपटने में आसानी होगी।
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नया टैक्स कोड संसद से पारित होने के बाद 1 अप्रैल, 2026 से लागू हो सकता है। इस कानून के व्यापक स्वरूप को देखते हुए संभावना है कि 2026 के बजट सत्र में इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा। इससे टैक्सपेयर्स और बिजनेसेज को इसके इस्तेमाल में आसानी होगी। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इनकम टैक्स कोड 2025 में बड़ा रिफॉर्म नहीं किया गया है। इसमें सरलता, डिजिटल टैक्सेशन, टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन की क्षमता बढ़ाने पर फोकस किया गया है। यह टैक्स सिस्टम को आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
(लेखक सीए हैं। वह पर्सनल फाइनेंस खासकर इनकम टैक्स से जुड़े मामलों के एक्सपर्ट हैं)