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UPI पेमेंट करने वालों की अब बल्ले-बल्ले! डिजिटल ट्रांजेक्शन पर नहीं लगेगी कोई फीस...RBI ने जारी की नई पालिसी

RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में यूपीआई (Unified Payments Interface) लेनदेन पर शुल्क लगाने की अफवाहों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि वर्तमान में यूपीआई ट्रांजेक्शन पर कोई फीस नहीं लगेगी।

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 02, 2025 पर 9:48 PM
UPI पेमेंट करने वालों की अब  बल्ले-बल्ले! डिजिटल ट्रांजेक्शन पर नहीं लगेगी कोई फीस...RBI ने जारी की नई पालिसी

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि यूपीआई (Unified Payments Interface) लेनदेन पर कोई शुल्क लगने वाला नहीं है। यह घोषणा डिजिटल भुगतान उपयोगकर्ताओं के लिए राहत की खबर है, क्योंकि यूपीआई आज देश में सबसे लोकप्रिय और सबसे तेज़ी से बढ़ता हुआ भुगतान माध्यम बन चुका है। गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि यूपीआई लेनदेन पर फीस लगाने का कोई प्रस्ताव केंद्रीय बैंक के समक्ष नहीं है और इस समय तक सरकार और RBI डिजिटल भुगतान को मुफ्त और सुलभ बनाए रखने के पक्ष में हैं।

मल्होत्रा ने कहा कि यूपीआई पर कोई शुल्क नहीं होगा, लेकिन उन्होंने यह भी माना कि यूपीआई के संचालन में खर्च आता है, जिसे किसी न किसी को वहन करना होता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह जरूरी नहीं कि हमेशा यूपीआई सेवाएं मुफ्त ही रहें, लेकिन फिलहाल ऐसा कोई बदलाव प्रस्तावित नहीं है। यूपीआई प्रणाली पर सरकार और RBI द्वारा शुरू किए गए सब्सिडी प्रोग्राम के कारण यह सेवा बड़ी आसानी से उपलब्ध हो पाती है, लेकिन बजट में सब्सिडी में कमी के चलते वर्चुअल भुगतान सेवाओं पर शुल्क लगाने की संभावना पर अटकलें लगी थीं, जिन्हें RBI द्वारा खारिज किया गया है।

साथ ही RBI यह भी विचार कर रहा है कि अगर कोई ग्राहक EMI की किश्त नहीं भर पाता तो बैंक उस लोन पर खरीदे गए मोबाइल फोन को डिजिटल तरीके से "लॉक" कर सके। इस प्रस्ताव का उद्देश्य वित्तीय संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, हालांकि इस पर गोपनीयता और उपभोक्ता अधिकारों के दृष्टिकोण से संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। RBI के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने इस मामले में दोनों पक्षों के फायदे और नुकसान का अध्ययन कर निर्णय लिए जाने की बात कही है।

मुलतः RBI का मानना है कि यूपीआई प्रणाली की मुफ्त सेवा जारी रहनी चाहिए ताकि देश में डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा मिल सके और हर वर्ग के व्यक्ति इसे बिना किसी बाधा के उपयोग कर सकें। भारतीय डिजिटल पेमेंट्स का यह मॉडल न केवल विनियामकीय प्रोत्साहन के मुताबिक बल्कि तकनीकी सुधारों के साथ स्थिर और सुरक्षित बनाने के प्रयासों का हिस्सा है।

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