सरकार ने इस साल यूनियन बजट में बच्चों के भविष्य के लिए एक इनवेस्टमेंट स्कीम का ऐलान किया था। सरकार ने सितंबर में इस स्कीम के नियम और शर्तें पेश कर दी। इस स्कीम का नाम एनपीएस वात्सल्य है। यह एक पेंशन स्कीम है, जो मातापिता को अपने बच्चे के नाम से तब तक निवेश करने की इजाजत देती है, जब तक बच्चा 18 साल का नहीं हो जाता। 18 साल के बाद बच्चा बालिग हो जाता है। बच्चे के बालिग होने के बाद यह स्कीम रेगुलर एनपीएस अकाउंट हो जाएगी। इस स्कीम का मकसद बच्चे के लिए लंबी अवधि में एक बड़ा फंड तैयार करना है। मातापिता को इस स्कीम में सालाना न्यूनतम 1,000 रुपये का निवेश करना होगा। ज्यादा निवेश के लिए कोई सीमा तय नही है।
बच्चों के लिए मातापिता के सेविंग्स करने का मकसद
अगर NPS की बात करें तो 2009 (प्राइवेट सेक्टर के लिए) में शुरुआत के बाद से इस रिटायरमेंट स्कीम ने अच्छा रिटर्न दिया है। इसकी इक्विटी स्कीम का रिटर्न (यील्ड) 14 फीसदी, कॉर्पोरेट डेट का 9.1 फीसदी और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज का 8.8 फीसदी रहा है। अब सवाल है कि चूंकि एनपीएस एक रिटायरमेंट स्कीम है तो क्या मातापिता को अपने बच्चे की रिटायरमेंट प्लानिंग करने की जरूरत है? दूसरा सवाल यह है कि मातापिता पर बच्चों के हायर एजुकेशन और शादी-ब्याह सहित कई जिम्मेदारियां होती हैं,तो क्या पहले उन्हें (मातापिता) इन जिम्मेदारियों को पूरा करने के बारे में सोचना चाहिए या बच्चे के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए?
एनपीएस वात्सल्य के नियम और शर्तें
यह सच है कि एनपीएस अकाउंट के तीन साल पूरे हो जाने पर कंट्रिब्यूशन का 25 फीसदी पैसा निकालने की इजाजत है। बच्चे के 18 साल का हो जाने तक इस तरह से तीन बार पैसे निकाले जा सकते हैं। बच्चे के बालिग होने यानी 18 साल का होने पर एकमुश्त 20 फीसदी पैसा निकालने की इजाजत है। बाकी पैसे का इस्तेमाल एन्युटी खरीदने के लिए करना होगा। दूसरा विकल्प यह है कि बच्चे के 18 साल के होने के बाद एनपीएस वात्सल्य को सामान्य एनपीएस स्कीम की तरह जारी रखा जा सकता है।
एनपीएस वात्सल्य में निवेश कितना फायदेमंद
सामान्य यानी रेगुलर एनपीएस अकाउंट में सब्सक्राइबर के 60 साल का हो जाने पर 60 फीसदी पैसा एकमुश्त निकालने की इजाजत है। बाकी 40 फीसदी फंड का इस्तेमाल एन्युटी खरीदने के लिए करना पड़ता है। इस एन्युटी से सब्सक्राइबर को 60 साल की उम्र के बाद रेगुलर पेंशन मिलती है। अब सवाल है कि अगर पहले विकल्प पर बात करें तो बच्चे के 18 साल के होने पर उसे 20 फीसदी पैसा एकमुश्त मिल जाएगा, बाकी का इस्तेमाल एन्युटी खरीदने के लिए करना होगा। इससे बच्चे की शिक्षा या शादी-ब्याह से जुड़ी जरूरतें पूरी होने में ज्यादा मदद मिलती नहीं दिख रही है। अगर दूसरे विकल्प की बात करें तो बच्चा के नौकरी शुरू करने से पहले ही रिटायरमेंट इनवेस्टमेंट का मतलब समझ मे नहीं आता।
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क्या पीपीएफ और सुकन्या समृद्धि अच्छे विकल्प हैं?
सवाल है कि क्या एनपीएस वात्सल्य के मुकाबले बच्चे के भविष्य के लिए PPF या सुकन्या समृद्धि में निवेश करना अच्छा रहेगा? एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर बच्चे के हायर एजुकेशन और शादी-ब्याह से जुड़ी जिम्मेदारियों के लिहाज से देखा जाए तो सुकन्या समृद्धि और पीपीएफ बेहतर विकल्प हैं। हालांकि, इन दोनों में शेयरों में निवेश का विकल्प नहीं होता है। लेकिन, पीपीएफ 15 साल में मैच्योर हो जाता है। सुकन्या समृद्धि 21 साल में मैच्योर हो जाती है। ऐसे में इन दोनों स्कीम में अगर मातापिता निवेश करते हैं तो बच्चे के बड़े होने पर उनके पास हायर एजुकेशन या शादी-ब्याह से जुड़ी जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए अच्छा फंड तैयार हो जाता है।