Pig Butchering Scam: स्कैमर्स ज्यादातर बेरोजगार, छात्र और हाउसवाइफ को टारगेज करते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि वह इमोशनी बहुत मजबूत नहीं होते। स्कैमर्स उन्हें कम टाइम में ज्यादा पैसा और कई बार प्यार के झांसे में फंसाकर लूटते हैं। ऐसा केंद्रीय होम मिनिस्ट्री की हाल की सालाना रिपोर्ट में सामने आया है। पिग बचरिंग स्कैम या इन्वेस्टमेंट स्कैम एक नई साइबर ठगी है, जिसमें बेरोजगार युवाओं, गृहणियों, छात्रों और जरूरतमंद लोगों को अपना निशाना बनाया गया है। यह घोटाला रोजाना बड़ी संख्या में लोगों से लाखों रुपये ठग रहा है। रिपोर्ट के अनुसार साइबर अपराधी इन धोखाधड़ी को शुरू करने के लिए गूगल की सर्विस का इस्तेमाल कर रहे हैं।
क्या है Pig Butchering Scam?
पिग बचरिंग स्कैम एक ऑनलाइन धोखाधड़ी है, जिसमें अपराधी सोशल इंजीनियरिंग के जरिए शिकार को अपने जाल में फंसाते हैं। यै पीड़ित का विश्वास जीतकर उन्हें नकली क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म या अन्य धोखाधड़ी वाली निवेश योजनाओं में निवेश करने के लिए प्रेरित करना है। Pig Butchering Scam नाम का मतलब है सूअर को काटने से पहले मोटा करना यानी अपराधी पहले पीड़ित के साथ संबंध बनाते हैं और फिर उनका पैसा हड़प लेते हैं। यह घोटाला 2016 में चीन से शुरू हुआ था और इसका टारगेट ऐसे लोग होते हैं जो आसानी से बहक जाते हैं। अपराधी उन्हें क्रिप्टोकरेंसी या अन्य योजनाओं में निवेश करने के लिए राजी करते हैं और फिर उनका पैसा चुरा लेते हैं।
कैसे काम करता है यह घोटाला?
अपराधी अक्सर सोशल मीडिया, डेटिंग ऐप्स या मैसेजिंग प्लेटफॉर्म (जैसे व्हाट्सएप और लिंक्डइन) के माध्यम से पीड़ितों से संपर्क करते हैं। वे खुद को दोस्ताना या रोमांटिक लिंक तौर में पेश करते हैं और एक शानदार लाइफस्टाइल का झूठा दावा करते हैं।
रिलेशन बनाना: वे पीड़ित के साथ नियमित बातचीत करते हैं। पर्सनल कहानियां, फोटो और नकली निवेश की सफलता की कहानियां शेयर करते हैं।
विश्वास जीतना: जब पीड़ित का विश्वास जीत लेते हैं तो एक शानदान निवेश का मौका ऑफर करते हैं। जो आमतौर पर नकली क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म होता है।
लालच बढ़ाना: शुरू में वे छोटे निवेश पर मुनाफा दिखाते हैं, जिससे पीड़ित को यह योजना असली लगने लगती है।
धोखा: अंत में वे पीड़ित को बड़ी रकम निवेश करने के लिए राजी करते हैं। निवेश करने के बाद रीलेशन खत्म कर देते हैं।
सरकार साइबर अपराध रोकने पर कर रही है काम
होम मिनिस्ट्री के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने इस खतरे से निपटने के लिए गूगल के साथ साझेदारी की है। गूगल के साथ समय-समय पर खतरों की जानकारी शेयर की जाती है ताकि तुरंत कार्रवाई हो सके।
व्हाट्सएप और अन्य प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल
रिपोर्ट में बताया गया है कि साइबर अपराधी भारत में ऐसे एप्लिकेशन के लिए फेसबुक लिंक का इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार व्हाट्सएप सबसे अधिक साइबर अपराधों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला प्लेटफॉर्म है। इन प्लेटफॉर्म पर आई इतनी शिकायतें। I4C ने गूगल और फेसबुक के साथ मिलकर साइबर अपराधियों पर निगरानी बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं।
व्हाट्सएप: 14,746 शिकायतें
टेलीग्राम: 7,651 शिकायतें
इंस्टाग्राम: 7,152 शिकायतें
आखिर लोग कैसे हो जाते हैं इन स्कैमर्स के शिकार?
भावनाओं, जैसे प्यार, लालच या मौके खोने के डर (FOMO) का फायदा स्कैमर्स उठाते हैं।
मनोवैज्ञानिक रूप से पीड़ितों का विश्वास जीततेहैं।
इस्तेमाल किए जाने वाले प्लेटफॉर्म प्रोफेशनल और वैलिड लगते हैं।
अनचाहे संदेश जो अजनबियों से आते हैं।
जल्दी से पर्सनल या रोमांटिक संबंध बनाने की कोशिश।
गारंटी ज्यादा रिटर्न देने का दावा करते हैं।
अपरिचित निवेश प्लेटफॉर्म पर निर्देश देना।
जल्दी कार्रवाई करने या अधिक पैसा निवेश करने का दबाव बनाना।
कैसे करें खुद की सुरक्षा?
अनचाहे संदेशों से सतर्क रहें।
किसी भी निवेश अवसर की पहले जांच करें।
अजनबियों के साथ पर्सनल या वित्तीय जानकारी शेयर न करें।
ऐसे प्लेटफॉर्म पर निवेश से बचें जिनकी आप पुष्टि नहीं कर सकते।
संदिग्ध गतिविधियों की शिकायत अधिकारियों और संबंधित प्लेटफॉर्म पर करें।