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इंडिया में भी इंटरेस्ट रेट घटने की उम्मीद, क्या आपको डेट फंडों में निवेश बढ़ाना चाहिए?

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के 18 सितंबर को इंटरेस्ट रेट में आधा फीसदी की कमी करने के बाद इंडिया में भी इंटरेस्ट रेट घटने की उम्मीद बढ़ गई है। इंटरेस्ट रेट घटने पर म्यूचुअल फंडों की डेट स्कीमों का रिटर्न बढ़ जाएगा। खासकर लॉन्ग ड्यूरेशन फंडों का रिटर्न बढ़ सकता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 19, 2024 पर 2:12 PM
इंडिया में भी इंटरेस्ट रेट घटने की उम्मीद, क्या आपको डेट फंडों में निवेश बढ़ाना चाहिए?
इंटरेस्ट रेट में कमी से कर्ज लेना सस्ता हो जाता है। बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट के इंटरेस्ट रेट में कमी करते हैं। इससे निवेशकों की दिलचस्पी बॉन्ड्स में निवेश में बढ़ती है।

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने 18 सितंबर को बड़ा फैसला लिया। उसने इंटरेस्ट रेट 50 बेसिस प्वाइंट्स यानी 0.50 फीसदी घटा दिया। इसकी उम्मीद पहले से की जा रही थी। एक्सपर्ट्स ने इंटरेस्ट रेट में 25 या 50 बेसिस प्वाइंट्स की कमी का अनुमान जताया था। अब अमेरिका में इंटरेस्ट रेट्स 4.75-5 फीसदी के बीच आ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले इंटरेस्ट रेट में कमी का असर न सिर्फ अमेरिकी इकोनॉमी पर पड़ेगा बल्कि दुनियाभर में पड़ेगा।

इंटरेस्ट रेट घटने का असर बॉन्ड मार्केट पर पड़ता है

सवाल है कि इसका इंडिया में बॉन्ड मार्केट (Bond Market) खासकर म्यूचुअल फंड्स की डेट स्कीमों पर कितना पड़ेगा? एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका में इंटरेस्ट रेट में कमी के बाद अब इंडिया में आरबीआई के रेपो रेट में कमी करने की उम्मीद बढ़ गई है। कई एक्सपर्ट्स ने इस साल आरबीआई के रेपो रेट घटाने की उम्मीद जताई है। इंटरेस्ट रेट में कमी का सीधा असर बॉन्ड मार्केट खासकर लंबी अवधि के बॉन्ड्स पर पड़ता है।

बॉन्ड फंड का रिटर्न बढ़ जाता है

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