भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का कार्ड कार्ड-ऑन-फाइल टोकनाइजेशन का नियम 1 अक्टूबर से बदलने वाला है। डेबिट और क्रेडिट कार्ड के कुछ नियमों को लागू करने की डेडलाइन RBI ने 1 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी थी। इन नए नियमों से क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिये पेमेंट को पहले से अधिक सुरक्षित करना है। ग्राहक डेबिट या क्रेडिट कार्ड से ऑनलाइन, पॉइंट ऑफ सेल (POS) या ऐप पर ट्रांजैक्शन करेगा, तो सभी डिटेल इनक्रिप्टेड कोड में सेव होगी।
ये हैं नए नियम - पहला नियम
RBI ने जिन नए नियमों को लागू करने की समयसीमा थी, उनमें पहला नियम यह है कि अगर एक ग्राहक ने किसी कंपनी का क्रेडिट कार्ड लेने के 30 दिन के अंदर खुद से उसे एक्टिवेट नहीं किया है तो कंपनी को उसे एक्टिवेट करने के लिए ग्राहक से वन-टाइम-पासवर्ड (OTP) के जरिए सहमित लेनी होगी। अगर ग्राहक सहमति नहीं होता है तो उन्हें उसका क्रेडिट कार्ड अकाउंट बंद करना होगा।
दूसरा नियम यह है कि ग्राहक से मंजूरी लिए बिना उसकी क्रेडिट लिमिट को नहीं बढ़ाया जा सकता है। साथ ही अगर कोई पेमेंट नहीं किया शुल्क या टैक्स आदि का ब्याज जोड़ते समय कैपिटलाइज नहीं किया जाए।
इन नियमों पर नहीं मिली राहत
इस बीच RBI ने उन नियमों को लागू करने में को राहत नहीं दी है, जो फिनटेक कंपनियों को प्रभावित करने वाले हैं। इसके अलावा कुछ प्रवाधान को-ब्रांडेड कार्ड के लिए है, जिनमें स्लाइस (Slice), यूनि (Uni), वनकार्ड (OneCard), लेजीपे (Fi), पेयूज (PayU’s), जुपिटर (Jupiter) आदि आते हैं।
को-ब्रांड को नहीं दी जाएगी जानकारी
नए प्रावधानों में कहा गया कि कार्ड के जरिए होने वाले ट्रांजैक्शन से जुड़ी जानकारी को-ब्रांडिंग पार्टनर को नहीं दी जा सकती है। यह प्रावधान को-ब्रांडेड कार्ड सेगमेंट में ऑपरेट कर रही कंपनियों के बिजनेस मॉडल को प्रभावित कर सकती हैं क्योंकि वे इन ट्रांजैक्शन के आधार पर कस्टमर को विभिन्न तरीके के ऑफर देकर ही लुभाती हैं।