Retirement planning: अगर आपने कभी सोचा है कि रिटायर होने के बाद मुझे कितने पैसे की जरूरत होगी? तो आप अकेले नहीं हैं। रिटायरमेंट की प्लानिंग मुश्किल लगती है क्योंकि भविष्य अनगिनत 'क्या होगा अगर' से भरा होता है। लेकिन असल में रिटायरमेंट के लिए जरूरी रकम का अंदाजा कुछ आसान बातों से लगाया जा सकता है। जैसे कि खर्च, महंगाई और कितने समय तक पैसे की जरूरत होगी।
शुरुआत करें अपने मासिक खर्च से
सबसे आसान तरीका है यह समझना कि आप आज हर महीने कितना खर्च करते हैं। जैसे कि राशन, बिजली-पानी, ट्रांसपोर्ट और बाकी खर्चे। मान लीजिए यह ₹50,000 महीना है। बच्चों के आत्मनिर्भर होने के बाद कुछ खर्च कम होंगे, लेकिन मेडिकल और घूमने-फिरने के खर्च बढ़ सकते हैं। इसलिए एक वास्तविक औसत निकालें।
यहीं पर ज्यादातर लोग गलती करते हैं। आज का ₹50,000 बीस साल बाद ₹50,000 नहीं रहेगा। अगर महंगाई 6% रही, तो खर्च हर 12 साल में लगभग दोगुना हो जाएगा। यानी अगर आप 20 साल बाद रिटायर होंगे, तो वही खर्च करीब ₹1.6 लाख महीना हो सकता है। यही वह रकम होगी, जिससे आप अपना जीवनस्तर बनाए रख पाएंगे।
कितने सालों के लिए पैसे चाहिए
भारत में लोगों की औसत उम्र बढ़ रही है। इसलिए रिटायरमेंट के बाद कम से कम 20-25 साल की तैयारी मानकर चलें। अगर आपका खर्च ₹1.6 लाख महीना है, यानी करीब ₹19-20 लाख सालाना, तो 25 साल के लिए कुल रकम करीब ₹5 करोड़ रुपये बनती है। यह आंकड़ा सुनकर डर लग सकता है, लेकिन चिंता की जरूरत नहीं।
बचत पर मिलने वाले रिटर्न को जोड़ें
आपके पैसे बैंक या तिजोरी में बंद नहीं रहेंगे। रिटायरमेंट बचत पर आपको रिटर्न मिलेगा। मान लीजिए कि डेट और इक्विटी इन्वेस्टमेंट के तालमेल से 6-8% तक रिटर्न। इससे आपको उतनी बड़ी रकम जमा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी जितनी ऊपर दिखती है। आज कई ऑनलाइन रिटायरमेंट कैलकुलेटर हैं, जो महंगाई, ब्याज दर और रिटायरमेंट तक के साल जोड़कर सही अनुमान दे देते हैं।
लक्ष्य से उल्टा हिसाब लगाएं
अब मान लीजिए आपका टारगेट कॉर्पस ₹5 करोड़ है। अब यह देखें कि इस रकम तक पहुंचने के लिए आज से हर महीने कितनी बचत करनी होगी। इसे SIPs या सालाना योगदान के रूप में बांट सकते हैं। जैसे कि EPF, NPS, PPF या म्यूचुअल फंड। जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, उतना आसान होगा। 30 साल की उम्र में ₹25,000 महीना निवेश करने वाला वही टारगेट पा सकता है, जिसके लिए 40 साल की उम्र में ₹50,000 महीना भी कम पड़ सकता है।
रिटायरमेंट कॉर्पस का मतलब किसी 'परफेक्ट नंबर' तक पहुंचना नहीं, बल्कि इतनी तैयारी करना है कि आप सम्मान और आजादी के साथ जी सकें। शुरुआत छोटी करें, लगातार बचत करते रहें और हर कुछ साल बाद अपनी योजना की समीक्षा करें। जितनी जल्दी शुरुआत करेंगे, उतनी ही कम चिंता होगी उस दिन जब सैलरी आनी बंद हो जाएगी।