भारत में डिजिटल पेमेंट सुरक्षा को और मजबूत बनाने के लिए बाजार नियंत्रक सेबी (SEBI) ने दो नई पहल शुरू की हैं। 1 अक्टूबर से लागू हुए इस सिस्टम का मकसद निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाना और यूपीआई के जरिए होने वाले लेन-देन को अधिक सुरक्षित बनाना है। इसके तहत अब केवल @valid वाले यूपीआई हैंडल वैध माने जाएंगे, जो कि विशेष तौर पर सेबी से पंजीकृत ब्रोकर्स और म्यूचुअल फंड्स को ही मिलेंगे।
सेबी ने नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के साथ मिलकर यह सुविधा विकसित की है। इस नए यूपीआई हैंडल में अंत में कैटेगरी अनुसार खास टैग जुड़े होंगे जैसे ".brk" ब्रोकर्स के लिए और ".mf" म्यूचुअल फंड्स के लिए। उदाहरण के तौर पर, एक ब्रोकर्स का यूपीआई एड्रेस हो सकता है abc.brk@validhdfc जबकि म्यूचुअल फंड का xyz.mf@validicici। यह निवेशकों को तेजी से भरोसेमंद संस्था की पहचान करने में मदद करेगा।
इस सिस्टम का एक खास संकेत "हरे ट्रांयगल के भीतर अंगूठे का निशान" (Thumbs-up) होगा, जो भुगतान प्रक्रिया के दौरान दिखेगा। अगर यह निशान न दिखे तो निवेशकों को चेतावनी मिलेगी कि ट्रांजैक्शन अशुद्ध या अनधिकृत हो सकता है। साथ ही सेबी ने "SEBI Check" नामक डिजिटल सत्यापन उपकरण भी लॉन्च किया है, जिसमें निवेशक बिचौलियों के बैंक खाते या यूपीआई आईडी की स्वतंत्र जांच कर सकते हैं। इसे सेबी की आधिकारिक वेबसाइट या सारथी मोबाइल ऐप पर उपयोग किया जा सकेगा। इससे धोखाधड़ी का खतरा और कम होगा।
सेबी का मानना है कि इस बदलाव से निवेशकों के लिए लेन-देन का अनुभव आसान, तेज और जोखिम से मुक्त होगा। यह व्यवस्था मौजूदा NEFT, RTGS, IMPS जैसे विकल्पों के साथ भी काम करेगी और निवेशकों को भुगतान के लिए ज्यादा विकल्प प्रदान करेगी। अगले कुछ महीनों में लगभग 8,000 से 9,000 सेबी पंजीकृत संस्थान इस नए @valid यूपीआई हैंडल को अपनाएंगे। दिसंबर 2025 के बाद केवल यह मान्य रूप स्वीकार किए जाएंगे।
इस पहल से न केवल धोखाधड़ी में कमी आएगी, बल्कि भारत के वित्तीय बाजार में डिजिटल भुगतान की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी। निवेशक अब अपने वित्त की सुरक्षा को लेकर अधिक आश्वस्त रह सकेंगे और सहजता से निवेश कर सकेंगे।