इस वित्त वर्ष यानी 2021-22 में टैक्स छूट के लिए आप 31 मार्च तक इनवेस्ट कर सकते हैं। इसके बाद 1 अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू हो जाएगा। इसलिए आपके पास करीब 18-19 दिन का समय बचा है। क्या आपने इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80सी, 80डी और 80टीटीए के तहत पूरा इनवेस्टमेंट कर दिया है? अगर हां तो आपको यह देखना होगा कि क्या अभी आप को अपनी टैक्स लायबिलिटी और घटाने की जरूरत है। अगर हां तो फिर आप नेशनल पेंशन स्कीम में इनवेस्ट कर अपनी टैक्स लायबिलिटी और कम कर सकते हैं।
एनपीएस आपको एक फाइनेंशियल ईयर में 2 लाख रुपये से ज्यादा इनवेस्ट कर टैक्स लायबिलिटी कम करने का मौका देता है। आइए जानते हैं इसका तरीका।
इनकम टैक्स एक्ट के तहत ऐसे तीन सेक्शन हैं, जो आपको एनपीएस में इनवेस्ट कर टैक्स डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत देते हैं।
इसके के तहत एनपीएस में निवेश पर टैक्स डिडक्शन मिलता है। 18 से 65 साल का व्यक्ति इसका फायदा उठा सकता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
A. इस सेक्शन के तहत मैक्सिमम डिडक्शन की लिमिट तय है। यह आपकी बेसिक सैलरी का 10 फीसदी या ग्रॉस इनकम का 10 फीसदी तक हो सकता है।
B. वित्त वर्ष 2017-18 से सेल्फ इंप्लॉयड व्यक्ति के लिए यह लिमिट बढ़ा दी गई है। लिमिट ग्रॉस टोटल इनकम की 20 फीसदी है। एक फाइनेंशियल ईयर में मैक्सिसम लिमिट 1.50 लाख रुपये तय की गई है।
यूनियन बजट 2015 में 80सीसीडी में एक और अमेंडमेंट किया गया। इसे सब सेक्शन (1बी) कहा गया। इसके तहत कोई व्यक्ति अतिरिक्त 50,000 रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन क्लेम कर सकता है। यह सैलरीड और सेल्फ-इंप्लॉयड दोनों के लिए हैं।
इससे 80सीसीडी के तहत उपलब्ध मैक्सिमस डिडक्शन बढ़कर 2,00,000 रुपये हो गया है। आपको यह ध्यान रखना होगा कि 80सीसीडी(1बी) के तहत मिलने वाला डिडक्शन सेक्शन 80सीसीडी(1) के तहत मिलने वाले डिडक्शन से अतिरिक्त है।
इनकम टैक्स एक्ट के इस सेक्शन का फायदा तब मिलता है, जब इंप्लॉयर (कंपनी) अपने कर्मचारी के एनपीएस में कंट्रिब्यूट करता है। इस सेक्शन के तहत कर्मचारी के एनपीएस में कंट्रिब्यूट किया गया अमाउंट ईपीएफ के कंट्रिब्यूशन से अलग होगा। यह सुविधा सिर्फ सैलरीड व्यक्ति के लिए है। यह सेक्शन सैलरीड व्यक्ति को अपनी बैसिक सैलरी के 10 फीसदी तक डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत देता है।
आइए जानते हैं आपको सेक्शन 80सीसीडी टैक्स बचाने में कैसे आपकी मदद करता है
इनकम टैक्स रूल के मुताबिक, किसी व्यक्ति को उसके एनपीएस अकाउंट में इंप्लॉयर के कंट्रिब्यूशन पर डिडक्शन क्लेम करने का अधिकार है। अधिकतम डिडक्शन सैलरी का 10 फीसदी होगा। सेंट्रल गवर्नमेंट कर्मचारी होने पर 14 फीसदी डिडक्शन तक की इजाजत है। इस साल के बजट में राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए भी लिमिट बढ़ाकर 14 फीसदी कर दी गई है।
आइए अब एक उदाहरण से समझते हैं कि प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाला व्यक्ति एनपीएस में इनवेस्ट कर कितना डिडक्शन क्लेम कर सकता है:
मान लीजिए आपकी सालाना बेसिक सैलरी 8 लाख रुपये है और आपकी कंपनी (Employer) आपके टियर-1 एनपीएस अकाउंट में 80,000 रुपये कंट्रिब्यूट करता है। ऐसे में आप अपनी बेसिक सैलरी का 10 फीसदी यानी 80,000 रुपये का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।
इस तरह सेक्शन 80सीसीडी(1), 80सीसीडी(1बी) 80सीसीडी (2) के तहत एनपीएस में इनवेस्ट कर आप काफी टैक्स बचा सकते हैं।