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क्या मातापिता से मिली गोल्ड ज्वेलरी टैक्स के दायरे में आती है?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब आप विरासत में मिली गोल्ड ज्वेलरी को बेचते हैं तो टैक्स का मामला फंसता है। इसकी वजह यह है कि गोल्ड को बेचने पर हुआ कैपिटल गेंस टैक्स के दायरे में आता है। ऐसे में कैपिटल गेंस के कैलकुलेशन के लिए गोल्ड ज्वेलरी की कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन की जानकारी का होना जरूरी है

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 13, 2025 पर 10:59 PM
क्या मातापिता से मिली गोल्ड ज्वेलरी टैक्स के दायरे में आती है?
अगर आपको मातापिता या किसी करीब रिश्तेदार से गोल्ड ज्वेलरी मिलती है तो उसका रिकॉर्ड रखना जरूरी है।

इंडिया में मातापिता से बच्चों को गोल्ड ज्वेलरी मिलना आम बात है। सवाल है कि क्या यह ज्वेलरी टैक्स के दायरे में आती है? इनकम टैक्स का नियम कहता है कि अगर विरासत में किसी को गोल्ड ज्वेलरी मिलती है तो वह टैक्स के दायरे में नहीं आएगी। इतना तो ज्यादातर लोग जानते हैं। लेकिन, यह कम लोन जानते है कि अगर आपको मातापिता या किसी करीब रिश्तेदार से गोल्ड ज्वेलरी मिलती है तो उसका रिकॉर्ड रखना जरूरी है। इसकी वजह यह है कि बाद में इसे बेचने या डिक्लेयर करने पर आपसे यह सवाल पूछा जा सकता है कि आपके पास यह ज्वेलरी कहां से आई है।

गोल्ड को बेचने पर कैपिटल गेंस टैक्स के दायरे में आता है

एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब आप विरासत में मिली Gold Jewellery को बेचते हैं तो टैक्स का मामला फंसता है। इसकी वजह यह है कि गोल्ड को बेचने पर हुआ कैपिटल गेंस टैक्स के दायरे में आता है। ऐसे में कैपिटल गेंस के कैलकुलेशन के लिए गोल्ड ज्वेलरी की कॉस्ट ऑफ एक्विजिशन की जानकारी का होना जरूरी है। इसका मतलब यह है कि अगर गोल्ड ज्वेलरी आपके मातापिता ने खरीदी थी, तो उन्होंने इसकी क्या कीमत चुकाई थी। अगरे इसे 1 अप्रैल, 2001 से पहले खरीदा गया तो उस दिन की फेयर मार्केट वैल्यू को उसकी कॉस्ट मानी जा सकती है। दूसरा, गोल्ड को कितने समय बाद बेचा जाता है, इससे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस और शॉर्ट कैपिटल गेंस का निर्धारण होता है।

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