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New tax regime: इनकम टैक्स स्लैब में नहीं हुआ है कोई बदलाव, वित्त मंत्रालय ने कहा- 'अफवाहों से रहें सावधान'

वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी कर टैक्स स्लैब में बदलाव के दावों को खारिज किया है। मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर पोस्ट किए एक बयान में कहा, "ऐसा देखने में आया है कि कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नए टैक्स स्लैब से जुड़ी भ्रामक सूचनाएं फैलाई जा रही हैं। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं 1 अप्रैल 2024 से टैक्स स्लैब में कोई नया परिवर्तन नहीं आ रहा है"

Moneycontrol Newsअपडेटेड Apr 01, 2024 पर 11:50 AM
New tax regime: इनकम टैक्स स्लैब में नहीं हुआ है कोई बदलाव,  वित्त मंत्रालय ने कहा- 'अफवाहों से रहें सावधान'
नई टैक्स व्यवस्था को फाइनेंस एक्ट 2023 के जरिए पेश किया गया था

भारत सरकार ने सोमवार को साफ किया कि इनकम टैक्स नियमों (New tax Rules) में 1 अप्रैल से कोई भी बदलाव नहीं हो रहा है। दरअसल सोशल मीडिया पर कुछ अकाउंट्स की ओर से ऐसे पोस्ट किए जा रहे थे कि 1 अप्रैल से इनकम टैक्स स्लैब (Income tax Slabs) में कुछ बदलाव लागू होने जा रहे हैं। अब वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) ने विस्तार से एक बयान जारी कर इन दावों को खारिज किया है। मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर पोस्ट किए एक बयान में कहा, "ऐसा देखने में आया है कि कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नए टैक्स स्लैब (New tax Regime) से जुड़ी भ्रामक सूचनाएं फैलाई जा रही हैं। हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं 1 अप्रैल 2024 से टैक्स स्लैब में कोई नया परिवर्तन नहीं आ रहा है।"

मंत्रालय ने आगे कहा, "इनकम टैक्स एक्ट की धारा 115BAC(1A) के तहत नई टैक्स व्यवस्था को मौजूदा पुरानी व्यवस्था (छूट के बिना) के मुकाबले फाइनेंस एक्ट 2023 में पेश किया गया था। नई टैक्स व्यवस्था कंपनियों और फर्मों के अलावा बाकी व्यक्तियों पर लागू है और वित्त वर्ष 2023-24 से यह उनके डिफॉल्ट टैक्स स्लैब के रूप में लागू है और इसके अनुरूप असेसमेंट ईयर 2024-25 है।"

पोस्ट में कहा गया, "नई टैक्स रिजीम के तहत, टैक्स की दरें काफी कम हैं। हालांकि इस रिजीम में पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत मिलने वाली तमाम छूट और डिडक्शन लागू नहीं है। नई टैक्स रिजीम में सिर्फ वेतन से 50,000 रुपये और पारिवारिक पेंशन से 15,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन का प्रावधान है।"

मंत्रालय ने कहा, "नई टैक्स व्यवस्था, डिफॉल्ट टैक्स व्यवस्था है। हालांकि, टैक्सपेयर्स को नई और पुरानी दोनों में से जो भी फायदेमंद टैक्स व्यवस्था लगता बै, वह उससे चुनने के लिए स्वतंत्र हैं।"

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