ITR filing for FY23-24: पिछले वित्त वर्ष 2023-24 यानी इस एसेसमेंट वर्ष 2024-25 के लिए आईटीआर फाइलिंग की डेडलाइन नजदीक आ रही है। डेडलाइन से चूके तो जुर्माना भरना पड़ सकता है तो ऐसे में समय रहते ही आईटीआर फाइल कर लेना चाहिए। अब बात करें इसमें दिखाए जाने वाले खर्चों की तो अब क्रेडिट कार्ड का जमाना है। क्रेडिट कार्ड के खर्च टैक्स कैलकुलेशन में अहम रोल निभा सकते हैं खासतौर से डिडक्शंस और रीबेट में। यहां स्पेप बाय स्टेप बताया जा रहा है कि आईटीआर भरते समय अपने क्रेडिट कार्ड के खर्चों को कैसे दिखाया जाए। हालांकि चूंकि क्रेडिट कार्ड के खर्चों को रिटर्न में दिखाना कुछ टैक्सपेयर्स के लिए मुश्किल भरा हो सकता है तो टैक्स प्रोफेशनल या सीए की मदद ले सकते हैं।
वित्त वर्ष 2024 के लिए क्रेडिट कार्ड के सभी स्टेटमेंट एक जगह इकट्ठा कर लें। अधिकतर बैंक और क्रेडिट कार्ड इश्यूअर्स डिटेल में मंथली स्टेटमेंट देते हैं जिसे ऑनलाइन निकाला जा सकता है। इसमें सभी ट्रांजैक्शंस मिल जाएंगे, छोटे खर्चे से लेकर बड़े खर्चे तक।
खर्चों की बनाएं अलग-अलग कैटेगरी
क्रेडिट कार्ड के स्टेटमेंट में आमतौर पर कैटेगरी के हिसाब से खर्च दिए होते हैं। हालांकि यह जरूरी है कि उसे फिर से देख लें और अपने हिसाब से सही-सही अलग-अलग कर लें। एक कॉमन कैटेगरी है-ट्रैवल और अकॉमेडेशन जिसमें हवाई किराया और होटल बुकिंग्स इत्यादि आते हैं। इसके बाद शॉपिंग और डाइनिंग आते हैं। यूटिलिटीज और सब्सक्रिप्शंस में सब्सक्रिप्शन के बिल इत्यादि आते हैं। हेल्थ और एडुकेशन टैक्स रिटर्न से जुड़ी चीजें हैं और इसमें मेडिकल एक्सपेंसेज, ट्यूशन फीस इत्यादि आते हैं। इन सभी खर्चों की कैटेगरी बनने से फायदा ये होगा कि डिडक्शन क्लेम करने में सहूलियत हो जाएगी।
टैक्स रिटर्न के लिए बनाएं खर्चों की अलग सूची
क्रेडिट कार्ड के जरिए कई ऐसे खर्च भी होते हैं जिन पर इनकम टैक्स एक्ट के कई सेक्शन के तहत छूट उठा सकते हैं। जैसे कि सेक्शन 80 डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम और सेक्शन 80सी के तहत बच्चों की शिक्षा। इसके अलावा अगर आप बिजनेस से जुड़े हैं तो बिजनेस ट्रैवल से जुड़े खर्चों को भी क्लेम कर सकते हैं। हालांकि इन्हें क्लेम करने के लिए रिसीट्स और इनवॉइस होना जरूरी है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने हाई वैल्यू वाले ट्रांजैक्शंस को दिखाना अनिवार्य किया हुआ है। अगर क्रेडिट कार्ड से सालाना 2 लाख रुपये से अधिक का खर्च हो गया है तो जरूरी है कि आईटीआर में सभी डिटेल्स सही-सही भरें। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि अगर कोई गड़बड़ी मिलती है तो स्क्रूटनी हो सकती है।
आईटीआर फाइल करते समय अपने इनकम सोर्स और कैटेगरी के हिसाब से सही फॉर्म चुनें। अगर सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी और अन्य स्रोत से आय है तो आईटीआर-1 चुनें। इंडिविजुअल्स और एचयूएफ, जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से आय नहीं है, उनके लिए आईटीआर-2 है और बिजनेस-प्रोफेशन से आय है तो आईटीआर-3 फॉर्म। फॉर्म भरते समययह सुनिश्चित कर लें कि क्रेडिट कार्ड के खर्चों को उचित सेक्शन में भरें।