CNBC-TV18 को सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक मंत्रियों के समूह ने ऑनलाइन गेमिंग कैसीनो और रेस कोर्स पर सर्वसम्मति से 28 फीसदी जीएसटी लगाने की सिफारिश करने का निर्णय लिया है। यह टैक्स शुरुआती बेटिंग और गेमिंग अमाउंट पर लगेगा। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक मंत्रियों का समूह हर दांव और जीती जाने वाली राशि पर जीएसटी लगाने के पक्ष में नहीं है। सूत्रों ने यह भी बताया है कि मंत्रियों का समूह अपनी रिपोर्ट 1-2 दिन में सरकार को दे देगा।
पीटीआई की 11 मई की रिपोर्ट के मुताबिक ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री अपने ऊपर लगने वाला जीएसटी की दर 18 फीसदी के अंदर रखने की मांग कर रही थी। इंडस्ट्री का कहना है सरकार उसको हायर टैक्स ब्रैकेट में रखती है तो इससे इंडस्ट्री के 2.2 अरब डॉलर का नुकसान होगा।
गौरतलब है कि इस इंडस्ट्री में करीब 400 कंपनियां है जिससे 45,000 लोगों को रोजगार मिलता है। जीएसटी अथॉरिटी के समक्ष अपनी मांगे रखने के लिए इंडस्ट्री ने ऑनलाइन स्किल बेस्ड गेमिंग प्लेटफॉर्म का एक एसोसिएशन बनाया है। बता दें कि ऑनलाइन स्किल बेस्ड गेमों में ई-स्पोर्ट्स, फैंटेसी गेम्स, रम्मी और पोकर यानी चैस जैसे गेम शामिल होते हैं। इनमें से तमाम गेम फ्री हैं जबकि कुछ के लिए प्लेटफॉर्म फीस देनी होती है।
Games24x7 के को-सीईओ त्रिविक्रमन थम्पी (Trivikraman Thampy) ने पीटीआई से कहा कि इंडस्ट्री पर लगने वाले टैक्स में बढ़ोतरी का विनाशकारी असर पड़ेगा। इसके अलावा विदेशी ऑपरेटर भारत में लगने वाले कर से बचने के लिए दूसरे देशों से अपने प्लेटफॉर्म की होस्टिंग करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि अगर गेमिंग इंडस्ट्री पर कर बढ़ाया जाता है तो इससे तिहरा नुकसान होगा। सबसे पहले तो भारत में गेमिंग इंडस्ट्री बर्बादी के रास्ते पर जाएगी। दूसरा सरकार को मिलने वाले टैक्स में गिरावट आएगी और तीसरे ऑनलाइन गेमिंग कसीनो के प्लेयरों के जालसाज ऑपरेटरों के झांसे में फंसने का डर रहेगा।
जीएसटी काउंसिल अपनी अगली मीटिंग में गेमिंग इंडस्ट्री पर टैक्स के मुद्दे पर विचार कर सकती है। ऐसे में यह मुद्दा इस समय काफी गरम है। हालांकि अगली जीएसटी काउंसिल की बैठक के एजेंडे को अभी फाइनल नहीं किया गया है।