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एक टाइपिंग गलती ने थमा दिया 2.58 करोड़ रुपये का टैक्स नोटिस! पटना की सीमा को जमीन बेचना पड़ा भारी

Long Term Capital Gain Tax: सोचिए, अगर आपने कानून के मुताबिक सब कुछ सही किया हो। जमीन बेची, पैसा घर खरीदने में लगाया और टैक्स छूट लेने के लिए रिटर्न फाइल किया लेकिन सिर्फ एक गलत सेक्शन नंबर लिख देने से करोड़ों का टैक्स नोटिस आ जाए

अपडेटेड Sep 09, 2025 पर 4:40 PM
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जमीन बेची, पैसा घर खरीदने में लगाया और टैक्स छूट लेने के लिए रिटर्न फाइल किया लेकिन सिर्फ एक गलत सेक्शन नंबर लिख देने से करोड़ों का टैक्स नोटिस आ जाए?

Long Term Capital Gain Tax: सोचिए, अगर आपने कानून के मुताबिक सब कुछ सही किया हो। जमीन बेची, पैसा घर खरीदने में लगाया और टैक्स छूट लेने के लिए रिटर्न फाइल किया लेकिन सिर्फ एक गलत सेक्शन नंबर लिख देने से करोड़ों का टैक्स नोटिस आ जाए? कुछ ऐसा ही पटना की सीमा के साथ हुआ। सीमा ने 4.5 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी बेचने के बाद टैक्स छूट का दावा गलत सेक्शन में कर दिया। यह एक छोटी सी टाइपिंग मिस्टेक थी, लेकिन उसी ने उन्हें कोर्ट-कचहरी तक पहुंचा दिया। लेकिन सालों की लड़ाई के बाद आखिरकार ITAT पटना ने साफ कर दिया कि हक गलती के कारण छिना नहीं जा सकता।

मामला कैसे शुरू हुआ?

2016 में सीमा ने पटना दानापुर में अपनी जमीन 4.5 करोड़ रुपये में बेची। इस सेल से उन्हें करीब 2.58 करोड़ रुपये का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) हुआ। कानून के मुताबिक, अगर कोई इस रकम को घर खरीदने में लगाता है तो टैक्स छूट मिलती है। सीमा ने भी 5 नवंबर 2016 को दिल्ली में 2.62 करोड़ रुपये में नया घर खरीद लिया।


अब असली गड़बड़ यहां हुई। ITR फाइल करते समय सीमा ने छूट का दावा Section 54 में किया, जबकि सही सेक्शन Section 54F होना चाहिए था। फर्क ये है कि Section 54 सिर्फ तभी लागू होता है जब आप रिहायशी मकान बेचकर दूसरा घर खरीदें। लेकिन अगर आपने जमीन या दूसरी संपत्ति बेची है और उसका पैसा घर खरीदने में लगाया है, तो मामला Section 54F के तहत आता है। यानी सीमा ने नियम का पालन तो किया था, लेकिन गलत सेक्शन लिख दिया।

इनकम टैक्स विभाग ने उठाए सवाल

सीमा की ITR में इस गलती को पकड़ते हुए आयकर विभाग ने 2019 में नोटिस भेजा। कई बार बुलाने के बावजूद उन्होंने जवाब नहीं दिया। आखिरकार 28 दिसंबर 2019 को असेसिंग ऑफिसर (AO) ने उनकी छूट खारिज कर दी। मामला आगे बढ़ा और 2024 में CIT (A) यानी कमिश्नर ऑफ अपील्स ने भी अपील खारिज कर दी। सीमा ने हार नहीं मानी और 2025 में ITAT पटना का दरवाजा खटखटाया।

ITAT ने क्या कहा?

ITAT के जज जॉर्ज मैथन और राकेश मिश्रा ने साफ कहा कि सीमा ने सिर्फ गलती से गलत सेक्शन का जिक्र किया, लेकिन उन्होंने नियमों के मुताबिक निवेश किया है। ऐसे में टैक्स छूट से बेदखल करना गलत है। उन्होंने CBDT का पुराना 1955 वाला सर्कुलर भी याद दिलाया, जिसमें साफ लिखा है कि टैक्स अधिकारी को टैक्सपेयर्स की नासमझी का फायदा नहीं उठाना चाहिए, बल्कि उसे उसके हक का फायदा दिलाना चाहिए।

ट्रिब्यूनल ने केस को AO को वापस भेजते हुए कहा कि सीमा की छूट Section 54F के तहत स्वीकार की जाए और उन्हें सबूत पेश करने का पूरा मौका मिले। 6 जून 2025 को ITAT पटना ने आदेश दिया कि सीमा की अपील आंशिक रूप से स्वीकार की जाती है। अब AO को दोबारा केस देखकर Section 54F के तहत राहत देनी होगी। यानी अब सीमा को 2.58 करोड़ रुपये के LTCG टैक्स से राहत मिलने का रास्ता साफ हो गया है।

इस केस से सबसे बड़ा सबक यही है कि ITR फाइल करते समय सही सेक्शन और क्लॉज लिखना बेहद जरूरी है। छोटी सी चूक भी बड़े टैक्स झगड़े में बदल सकती है। हालांकि ITAT के फैसले ने टैक्सपेयर्स को राहत दी है कि तकनीकी गलती से असली हक नहीं छिना जाना चाहिए।

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