क्या आपने टैक्स सेविंग्स इनवेस्टमेंट कर लिया है? 31 मार्च तक आप टैक्स सेविंग्स के लिए इनवेस्टमेंट कर सकते हैं। 1 अप्रैल से नया फाइनेंशियर ईयर शुरू हो जाएगा। इसलिए एक बार अपने टैक्स सेविंग्स इनवेस्टमेंट को चेक कर लेना ठीक रहेगा। अगर टैक्स सेविंग्स का कुछ स्कोप बचा है तो उसे 31 मार्च से पहले करना होगा।
टैक्स सेविंग्स के लिए कई तरह के ऑप्शन उपलब्ध है। इनमें इनकम टैक्स एक्ट, 1961 का सेक्शन 80सी और 80डी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। हम आपको इन दोनों सेक्शन के साथ ही टैक्स सेविंग्स के दूसरे सेक्शन के बारे में भी विस्तार से बताएंगे।
इस सेक्शन के तहत आप एक फाइनेंशियल ईयर में 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। इस सेक्शन के तहत लाइफ इंश्योरेंस, बैंक में टैक्स सेविंग्स एफडी, नेशनल पेंशन स्कीम, पीपीएफ, एनएससी, सुकन्या समृद्धि योजना, ईएलएसएस आते हैं। इसके तहत दो और चीजें आती हैं। पहला, दो बच्चों तक की स्कूल या कॉलेज की फीस। दूसरा, होम लोन का प्रिंसिपल का हिस्सा। उपर्युक्त इंस्ट्रूमेंट्स में किसी एक में या एक से ज्यादा में आप एक फाइनेंशियल ईयर में मैक्सिमम 1.5 लाख रुपये का इनवेस्टमेंट कर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।
मेडिक्लेम पॉलिसी पर भी टैक्स छूट मिलती है। आप खुद, पति/पत्नी और बच्चों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस खरीद सकते हैं और उसके प्रीमियम अमाउंट पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। इसके लिए एक फाइनेंशियर ईयर में 25,000 रुपये की लिमिट तय है। सीनियर सिटीजंस के मामले में यह लिमिट बढ़कर 50,000 रुपये हो जाती है। आप अपने बुजुर्ग माता-पिता के लिए मेडिक्लेम पॉलिसी खरीदकर सालाना 50,000 रुपये डिडक्शन का दावा कर सकते हैं। हेल्थ चेकपर पर सालाना 5,000 रुपये तक के खर्च पर भी डिडक्शन का दावा किया जा सकता है।
इसके के तहत एनपीएस में निवेश पर टैक्स डिडक्शन मिलता है। 18 से 65 साल का व्यक्ति इसका फायदा उठा सकता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
A. इस सेक्शन के तहत मैक्सिमम डिडक्शन की लिमिट तय है। यह आपकी बेसिक सैलरी का 10 फीसदी या ग्रॉस इनकम का 10 फीसदी तक हो सकता है।
B. वित्त वर्ष 2017-18 से सेल्फ इंप्लॉयड व्यक्ति के लिए यह लिमिट बढ़ा दी गई है। लिमिट ग्रॉस टोटल इनकम की 20 फीसदी है। एक फाइनेंशियल ईयर में मैक्सिसम लिमिट 1.50 लाख रुपये तय की गई है।
यूनियन बजट 2015 में 80सीसीडी में एक और अमेंडमेंट किया गया। इसे सब सेक्शन (1बी) कहा गया। इसके तहत कोई व्यक्ति अतिरिक्त 50,000 रुपये का अतिरिक्त डिडक्शन क्लेम कर सकता है। यह सैलरीड और सेल्फ-इंप्लॉयड दोनों के लिए हैं।
इससे 80सीसीडी के तहत उपलब्ध मैक्सिमस डिडक्शन बढ़कर 2,00,000 रुपये हो गया है। आपको यह ध्यान रखना होगा कि 80सीसीडी(1बी) के तहत मिलने वाला डिडक्शन सेक्शन 80सीसीडी(1) के तहत मिलने वाले डिडक्शन से अतिरिक्त है।
इनकम टैक्स एक्ट के इस सेक्शन का फायदा तब मिलता है, जब इंप्लॉयर (कंपनी) अपने कर्मचारी के एनपीएस में कंट्रिब्यूट करता है। इस सेक्शन के तहत कर्मचारी के एनपीएस में कंट्रिब्यूट किया गया अमाउंट ईपीएफ के कंट्रिब्यूशन से अलग होगा। यह सुविधा सिर्फ सैलरीड व्यक्ति के लिए है। यह सेक्शन सैलरीड व्यक्ति को अपनी बैसिक सैलरी के 10 फीसदी तक डिडक्शन क्लेम करने की इजाजत देता है।
आइए जानते हैं आपको सेक्शन 80सीसीडी टैक्स बचाने में कैसे आपकी मदद करता है
इनकम टैक्स रूल के मुताबिक, किसी व्यक्ति को उसके एनपीएस अकाउंट में इंप्लॉयर के कंट्रिब्यूशन पर डिडक्शन क्लेम करने का अधिकार है। अधिकतम डिडक्शन सैलरी का 10 फीसदी होगा। सेंट्रल गवर्नमेंट कर्मचारी होने पर 14 फीसदी डिडक्शन तक की इजाजत है। इस साल के बजट में राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए भी लिमिट बढ़ाकर 14 फीसदी कर दी गई है।
आइए अब एक उदाहरण से समझते हैं कि प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाला व्यक्ति एनपीएस में इनवेस्ट कर कितना डिडक्शन क्लेम कर सकता है:
मान लीजिए आपकी सालाना बेसिक सैलरी 8 लाख रुपये है और आपकी कंपनी (Employer) आपके टियर-1 एनपीएस अकाउंट में 80,000 रुपये कंट्रिब्यूट करता है। ऐसे में आप अपनी बेसिक सैलरी का 10 फीसदी यानी 80,000 रुपये का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं।