मुश्किल नहीं है विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश करना, जानिए क्या है तरीका

15 अक्टूबर तक बाजार में म्यूचुअल फंड्स की ऐसी 63 स्कीमें थीं, जो विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं। पिछले तीन साल में विदेश में निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड्स स्कीमों का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) कंपाउंडेड आधार पर 124 फीसदी बढ़ा है

अपडेटेड Oct 20, 2022 पर 4:41 PM
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पिछले दशक में हमने अमेरिकी मार्केट में जबर्दस्त तेजी देखी है। इंडियन इनवेस्टर्स इस तेजी का फायदा उठाना चाहते हैं।

पिछले कुछ समय से विदेश में निवेश करने (Foreign Investment) में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ी है। RBI के डेटा के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में भारतीयों ने 1961.1 करोड़ डॉलर विदेश भेजे। एक साल पहले यह आंकड़ा 1268.4 करोड़ डॉलर था। पिछले कुछ सालों में भारतीयों के विदेश पैसे भेजने के नियमों को आसान बनाया गया है।

कोई भारतीय एक फाइनेंशियल ईयर में 2,50,000 डॉलर विदेश भेज सकता है। भारत सरकार की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत यह पैसा भेजा जा सकता है। पिछले कुछ सालों में RBI ने विदेश पैसे भेजने की लिमिट बढ़ाई है। यह स्कीम 2004 में शुरू हुई थी। तब इसकी लिमिट 25,000 डॉलर थी।

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विदेशी शेयरों में म्यूचु्ल फंड्स के जरिए पैसे लगाना आसान है। इंडिया में म्यूचुअल फंड हाउसेज ऐसी स्कीम लॉन्च करते हैं, जो विदेशी शेयरों में निवेश करती हैं। आप पैसा म्यूचुअल फंड्स की ऐसी स्कीम में पैसे रुपये में निवेश करते हैं। यह पैसा आपके जैसे निवेशकों से कलेक्ट करने के बाद विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश किया जाता है।

ACE MF के डेटा के मुताबिक, 15 अक्टूबर तक बाजार में म्यूचुअल फंड्स की ऐसी 63 स्कीमें थीं, जो विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं। पिछले तीन साल में विदेश में निवेश करने वाली म्यूचुअल फंड्स स्कीमों का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) कंपाउंडेड आधार पर 124 फीसदी बढ़ा है। सितंबर 2019 के अंत में एयूएम करीब 2,743 करोड़ रुपये था, जो इस साल सितंबर को बढ़कर 30,678 करोड़ रुपये हो गया।

हेक्सागोन कैपिटल एडवाइजर्स के एमडी श्रीकांत भागवत ने कहा कि विदेश में निवेश में दिलचस्पी बढ़ने की बड़ी वजह यह है कि धीरे-धीरे इनवेस्टर्स के बीच जागरूकता बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में ऐसे प्लेटफॉर्म आ गए हैं, जो न सिर्फ आपको विदेश में निवेश करने की सुविधा देते हैं बल्कि ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनियों की ग्रोथ में हिस्सेदारी करने का भी मौके देते हैं। इनमें एपल, अल्फाबेट और गूगल जैसी दिग्गज अमेरिकी कंपनियां शामिल हैं।

भागवत ने कहा, "पिछले दशक में हमने अमेरिकी मार्केट में जबर्दस्त तेजी देखी है। इंडियन इनवेस्टर्स इस तेजी का फायदा उठाना चाहते हैं। विदेश में निवेश करने में इनवेस्टर्स का ध्यान डायवर्सिफिकेशन पर होना चाहिए। इसके लिए न सिर्फ अमेरिकी बाजार बल्कि दूसरे देशों में भी निवेश के मौके तलाशे जा सकते हैं। अमेरिका के अलावा यूरोप और एशिया में शानदार प्रदर्शन वाली कंपनियां हैं। इनवेस्टर्स इनमें भी निवेश के बारे में सोच सकते हैं।"

उन्होंने कहा कि अगर आप कंपनियों के बारे में रिसर्च कर सकते हैं तो आपको इंडिविजुअल शेयरों को देखना चाहिए और उनमें निवेश करना चाहिए। आपके पोर्टफोलियो में ऐसी कंपनियों की छोटी हिस्सेदारी हो सकती है। इससे अगर किसी वजह से विदेश में निवेश का आपका फैसला गलत हो भी जाता है तो आपके पोर्टफोलियो को ज्यादा नुकसान नहीं होगा।

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