पत्नी-बच्चों को गिफ्ट पर कैसे लगता है टैक्स? एक्सपर्ट से समझिए नियम
Gifting to wife and son: पत्नी और बच्चों को कैश गिफ्ट करना आसान लगता है, लेकिन टैक्स के नियम इसे जटिल बना सकते हैं। जानिए टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन की सलाह और कैसे सही योजना बनाकर आप टैक्स में बचत कर सकते हैं।
गिफ्ट के पैसे को निवेश करने से पहले टैक्स नियमों को समझ लेना जरूरी है।
Gifting to wife and son: भारत में परिवार के सदस्यों को गिफ्ट देना आम बात है। अपने बीवी-बच्चों को लोग अक्सर एनिवर्सरी या बर्थडे जैसे खास मौकों पर उपहार देते हैं। हालांकि, गिफ्ट देते समय टैक्स नियमों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए, चाहे अब वो गिफ्ट अपनी पत्नी या बच्चे को ही दे रहे हों। मुंबई के टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन बताते हैं कि गिफ्ट की रकम पर टैक्स का आधार इस बात पर निर्भर करता है कि पैसा किसे दिया गया है और उसे किस तरह इस्तेमाल किया जाता है।
गिफ्ट टैक्स फ्री, लेकिन सीमाओं के साथ
जैन का कहना है कि आम नियम के तहत अगर किसी व्यक्ति को सालाना 50,000 रुपये से ज्यादा का गिफ्ट मिलता है, तो यह पूरी रकम उसकी इनकम में जोड़कर टैक्स की जाती है। लेकिन पत्नी और बच्चे इस नियम से बाहर हैं।
इसका मतलब है कि आप अपनी पत्नी या बेटे को लाखों रुपये भी गिफ्ट करें, तो वह उनके इनकम में नहीं जोड़ा जाएगा और उन्हें टैक्स नहीं देना होगा। साथ ही, गिफ्ट देने वाले पर पहले से मौजूद डोनर-आधारित टैक्स का कोई असर नहीं होता क्योंकि इसे काफी पहले ही खत्म कर दिया गया था।
पत्नी को गिफ्ट पर कैसे लगता है टैक्स
हालांकि, मूल गिफ्ट टैक्स फ्री है, उस पैसे से हुई आय पर अलग नियम लागू होते हैं। बलवंत जैन बताते हैं कि अगर पत्नी को दिए गए पैसे से बैंक ब्याज या म्यूचुअल फंड के रिटर्न जैसी इनकम होती है, तो इसे आपके इनकम में शामिल किया जाएगा। इस पर नियम के मुताबिक टैक्स भी देना पड़ेगा।
इसी को Clubbing Provision (Section 64) कहते हैं। लेकिन, अगर पत्नी केवल पैसे को खर्च करती है या नॉन-इनकम एसेट में लगाती है, तो कोई टैक्स नहीं लगेगा।
बेटे को गिफ्ट के बारे में क्या हैं नियम
बेटे की स्थिति में नियम थोड़े अलग हैं। अगर बेटा बालिग है, तो उसकी इनकम उसके अपने नाम पर टैक्सेबल होगी। लेकिन अगर बेटा माइनर है, तो उसकी पैसिव इनकम, चाहे वह गिफ्ट से हो या अन्य स्रोत से, उस पेरेंट की कमाई में शामिल की जाएगी, जो ज्यादा इनकम कमाता है।
जैन के अनुसार, एक बार माइनर की इनकम पेरेंट की कमाई में शामिल हो गई, तो अगले सालों में भी यही लागू रहेगी जब तक कि आयकर अधिकारी अलग निर्देश न दें। अगर माता-पिता कानूनी तौर पर अलग हैं, तो इनकम उस पेरेंट की कमाई में शामिल की जाएगी, जो बच्चे की देखभाल करता है।
निवेश पर टैक्सिंग और योजना
बलवंत जैन की सलाह है कि गिफ्ट के पैसे को निवेश करने से पहले टैक्स नियमों को समझ लेना जरूरी है। बालिग बच्चे या पत्नी को गिफ्ट करना सबसे टैक्स-फ्रेंडली होता है। वहीं, नाबालिग बच्चे के लिए गिफ्ट करते समय ध्यान रखें कि पैसिव इनकम पेरेंट की कमाई में ही शामिल की जाएगी। यह ज्यादा कमाने वाले पेरेंट में जुड़ेगा, भले ही गिफ्ट किसी भी पेरेंट ने दिया हो।
ऐसे में गिफ्ट के माध्यम से सही निवेश योजना बनाना और रिटर्न का रिकॉर्ड रखना जरूरी है, ताकि टैक्स फाइलिंग के समय कोई विवाद न हो।
पहले क्या था गिफ्ट टैक्स का नियम
पहले भारत में Gift Tax Act था। इसमें गिफ्ट देने वाले (Donor) पर टैक्स लगता था। लेकिन यह एक्ट 1998 में खत्म कर दिया गया। अब गिफ्ट टैक्स की व्यवस्था केवल रिसीवर यानी गिफ्ट पाने की तरफ से होती है, और वह भी तभी जब गिफ्ट किसी संबंधी से न हो और ₹50,000 से ज्यादा का हो।
अब पत्नी और बच्चों (बालिग) को दिया गया कोई भी गिफ्ट पूरी तरह टैक्स-फ्री है। लेकिन, गिफ्ट से अगर इनकम जेनरेट होती है, तो clubbing rule लागू होगा।
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