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सरकार ने खत्म की UPI ट्रांजैक्शन के लिए PIN की जरूरत, अब इन दो नए तरीकों से कर सकेंगे पेमेंट

NPCI ने UPI में PIN की जगह पेमेंट के लिए दो नए ऑप्शन लॉन्च किए हैं। ये फीचर मोबाइल पर सुरक्षित और आसान है। इनसे बुजुर्गों और नए यूजर्स को पेमेंट काफी आसानी होगी। जानिए डिटेल।

अपडेटेड Oct 07, 2025 पर 7:36 PM
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यूजर्स नए फीचर का इस्तेमाल न सिर्फ पेमेंट करने में बल्कि UPI PIN सेट या रीसेट करने में भी कर सकेंगे।

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने मुंबई में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट में 7 अक्टूबर को UPI पेमेंट्स के लिए बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन लॉन्च किया।

अब UPI ट्रांजैक्शन करने के लिए PIN डालने की जरूरत नहीं होगी। इसकी जगह अब आप अपनी फिंगरप्रिंट या फेस ऑथेंटिकेशन से पेमेंट कर सकेंगे। यह पूरा प्रोसेस मोबाइल डिवाइस पर ही होगा, यानी आपकी बायोमेट्रिक जानकारी किसी सर्वर पर नहीं जाएगी।

अब PIN की जगह बायोमेट्रिक


फाइनेंशियल सर्विसेज डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी एम नागराजू एम ने इस फीचर की शुरुआत की। NPCI के मुताबिक, यह तरीका PIN सिस्टम से ज्यादा सुरक्षित, आसान और यूजर-फ्रेंडली है।

पहले से ही खबर थी कि NPCI इस फीचर को लाने के लिए कई फिनटेक स्टार्टअप्स के साथ काम कर रहा है।

कैसे काम करेगा नया सिस्टम

यूजर्स इस फीचर का इस्तेमाल न सिर्फ पेमेंट करने में बल्कि UPI PIN सेट या रीसेट करने में भी कर सकेंगे। साथ ही, इससे आप ATM से कैश निकालने के लिए भी UPI का इस्तेमाल कर पाएंगे।

यह सुविधा पूरी तरह वैकल्पिक होगी। यानी अगर आप चाहें तो बायोमेट्रिक सिस्टम अपनाएं, वरना पुराना PIN तरीका जारी रहेगा। NPCI ने बताया कि हर ट्रांजैक्शन को बैंक द्वारा क्रिप्टोग्राफिक सिक्योरिटी चेक से वेरिफाई किया जाएगा ताकि सुरक्षा का उच्चतम स्तर बरकरार रहे।

सीनियर सिटिजन को आसानी

NPCI ने कहा कि यह बदलाव बुजुर्गों और पहली बार UPI इस्तेमाल करने वालों के लिए बहुत मददगार साबित होगा। अब तक UPI PIN बनाने के लिए डेबिट कार्ड डिटेल या आधार OTP की जरूरत होती थी। लेकिन अब आधार-बेस्ड फेस ऑथेंटिकेशन से यह प्रक्रिया ज्यादा तेज और सरल हो जाएगी।

अभी तक UPI में पहला सिक्योरिटी फैक्टर मोबाइल डिवाइस का बाइंडिंग (SMS के जरिए) होता है और PIN दूसरा फैक्टर। अब बायोमेट्रिक इस दूसरे फैक्टर की जगह लेगा।

धोखाधड़ी पर रोक लगाने की कोशिश

दरअसल, यह पहल नई नहीं है। RBI पिछले कुछ समय से UPI फ्रॉड और PIN से जुड़ी धोखाधड़ी को लेकर चिंतित था। इसलिए उसने बैंकों और फिनटेक कंपनियों से कहा था कि वे PIN या OTP के बजाय बायोमेट्रिक और बिहेवियरल पैटर्न जैसे वैकल्पिक ऑथेंटिकेशन तरीके अपनाएं।

तीन साल की तैयारी के बाद लॉन्च

NPCI ने साल 2021 में एक प्रतियोगिता शुरू की थी जिसका नाम था PayAuth Challenge। इसमें स्टार्टअप्स को वैकल्पिक पेमेंट ऑथेंटिकेशन सॉल्यूशन बनाने के लिए बुलाया गया था। विजेताओं में Tech5, Juspay, MinkasuPay और Infobip शामिल थे।

इन स्टार्टअप्स ने UPI Steering Committeeके सामने अपने सॉल्यूशन्स पेश किए थे। इस कमेटी में कई बैंक और UPI ऐप्स शामिल हैं। बैंकों को MinkasuPay का मॉडल सबसे बेहतर लगा, क्योंकि इसमें सिस्टम में बड़े बदलाव की जरूरत नहीं थी।

UPI की ताकत

आज UPI भारत का सबसे बड़ा डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म है। यह देश के 85% ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को हैंडल करता है। हर महीने इसके जरिए 20 अरब से ज्यादा ट्रांजैक्शन होती हैं, जिनकी कुल वैल्यू ₹25 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

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