Chhath Puja 2025: सूर्य देव को संध्या अर्घ्य देते समय आज न करें ये गलतियां, डूबते सूर्य को इसलिए दिया जाता है अर्घ्य

Chhath Puja 2025: कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर आज शाम को सूर्यास्य के समय सूर्य देव को छठ व्रती संध्या अर्घ्य देंगे। आज के दिन सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय कुछ चीजें करने से बचना चाहिए, नहीं तो आपको भारी दिक्कत हो सकती है। साथ ही जानें डूबते सूरज को अर्घ्य देने का क्या है महत्व?

अपडेटेड Oct 27, 2025 पर 2:22 PM
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छठ पूजा में छठ माता और सूर्य भगवान की पूजा की जाएगी।

Chhath Puja 2025 dos and donts: छठ पूजा का सबसे अहम दिन आज है। आज भगवान सूर्य को शाम के समय अर्घ्य दिया जाएगा। अस्त होते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर भक्त उसे धन्यवाद देते हैं दिनभर की रोशनी, ऊर्जा और जीवन देने के लिए। यह अर्घ्य कृतज्ञता का प्रतीक है। मान्यता है कि अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने से मनुष्य अपने जीवन के उतार-चढ़ाव में संतुलन और धैर्य बनाए रखता है। छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास रविवार को खरना प्रसाद ग्रहण करने के बाद से शुरू हो चुका है। इसका समापन मंगलवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद होगा। छठ पूजा में छठ माता और सूर्य भगवान की पूजा की जाएगी। आज के दिन संध्या अर्घ्य के समय भूलकर भी ये 5 काम नहीं करने चाहिए। आइए जानें इसके बारे में

संध्या अर्घ्य में न करें ये

  • तीसरे दिन, व्रती को सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक न तो अन्न ग्रहण करना चाहिए और न ही जल की एक बूंद पीना चाहिए। इस व्रत को बीच में तोड़ने का मतलब है छठी माता को नाराज करना।
  • प्रसाद बनाते समय या अर्घ्य के सूप को सजाते समय, अगर आप व्रत नहीं कर रहे हैं तो हाथ धोए बिना उसे न छूएं। प्रसाद को बनाते समय या पूजा की सामग्री को छूते समय अपवित्र हाथों से, बिना स्नान किए, या चप्पल पहनकर काम न करें।
  • व्रत के दौरान व्रती को शांत रहना चाहिए। तीसरे दिन कठोर तपस्या के समय क्रोध करना, किसी को अपशब्द कहना या घर में कलेश या लड़ाई-झगड़ा करने से बचें। मान्यता है कि इससे व्रत का फल नष्ट हो जाता है और घर में नकारात्मकता आती है।

संध्या अर्घ्य के दिन क्या करें?


  • सूर्यास्त के समय को ध्यान में रखते हुए, सभी तैयारी के साथ समय से पहले ही किसी पवित्र नदी या घर पर बनाए गए जलकुंड के किनारे पहुंच जाएं।
  • व्रती शुद्ध और पारंपरिक कपड़े पहनें। अर्घ्य के दौरान व्रती और अर्घ्य में शामिल होने वाले लोग पवित्रता का खास ख्याल रखें।
  • व्रती सूप को अपने हाथों में लेकर, या किसी मदद से, दूध और गंगाजल का अर्घ्य दें। अर्घ्य की धारा डूबते हुए सूर्य की ओर दी जाती है।
  • अर्घ्य देते समय, लोटे को हाथ में इस तरह पकड़ना चाहिए कि जल की धारा के बीच से सूर्य की किरणें दिखाई दें। अर्घ्य देते समय वैदिक मंत्रों का जप करें।
  • अर्घ्य देने के बाद, सूप में रखे गए घी के दीपक को जलाकर जल में प्रवाहित करें या घाट पर किनारे रखें। घाट पर छठ व्रत की कथा सुनें।
  • आरती के बाद छठी मैया से संतान की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्रार्थना करें।

अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य का महत्व

धार्मिक मान्यता के अनुसार शाम के समय सूर्य देव अपनी दूसरी पत्नी प्रत्युषा के साथ होते हैं। पौराणिक कथाओं में प्रत्यूषा को शाम के समय की देवी माना गया है। जबकि, पहली पत्नी उषा को सुबह की देवी माना गया है। कहा जाता है कि शाम के समय डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में चल रही टेंशन से राहत मिलती है और जीवन में शांति आती है। अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य देना यह भी सिखाता है कि जीवन में केवल सफलता के समय ही नहीं, कठिनाइयों के क्षणों में भी श्रद्धा और विश्वास बनाए रखना चाहिए।

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