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Dussehra 2025: इसी दिन की जाती है शस्त्र पूजा, शमी पूजा और अपराजिता देवी की पूजा, जानें इनका महत्व और पूजा मुहूर्त

Dussehra 2025: इस साल दशहरा का पर्व 02 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन से जुड़ी और भी कई परंपराएं हैं, जिसके लिए दशहरा का दिन जाना जाता है। इसमें शस्त्र या आयुध पूजा, अपराजिता पूजा शामिल हैं। आइए जानें इस दिन से जुड़ी इन परंपराओं के बारे में।

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 26, 2025 पर 9:59 AM
Dussehra 2025: इसी दिन की जाती है शस्त्र पूजा, शमी पूजा और अपराजिता देवी की पूजा, जानें इनका महत्व और पूजा मुहूर्त
दशहरा का त्योहार असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

Dussehra 2025: दशहरा का त्योहार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाने वाले इस त्योहार के दिन सिर्फ रावण दहन ही नहीं किया जाता है। इस दिन से जुड़ी और भी कई परंपराएं हैं, जिसके लिए दशहरा का दिन जाना जाता है। इसमें शस्त्र या आयुध पूजा, अपराजिता पूजा शामिल हैं। आइए जानें इस दिन से जुड़ी इन परंपराओं के बारे में। इस बार 02 अक्टूबर 2025 को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।

दशहरा की तारीख और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व आश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इसे साल के बड़े और प्रमुख त्योहारों में गिना जाता है। इस साल दशहरा 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस साल दशमी तिथि 1 अक्टूबर 2025 रात 07:01 बजे से शुरू होगी और 2 अक्टूबर 2025 रात 07:10 बजे तक रहेगी।

दशहरा शुभ मुहूर्त

इस साल दशहरे पर मुख्य पूजा का सबसे अच्छा समय दोपहर 1:21 बजे से 3:44 बजे तक है। इस अवधि में धार्मिक कार्य विशेष रूप से फलदायक होंगे।

दशहरे के दिन की जाती हैं ये परंपराएं

शमी पूजा : दशहरे पर शमी के पेड़ की पूजा की जाती है और उसके पत्ते बांटे जाते हैं। रावण दहन के बाद एक दूसरे को शमी के पत्ते बांटने की प्रथा कहीं-कहीं देखने को मिलती है। माना जाता है कि प्रभु श्री राम ने रावण से युद्ध लड़ने से पहले शमी के वृक्ष की पूजा की थी। उन्होंने युद्ध में विजयी होने के बाद अयोध्यावासियों को सोना दान किया था। इसी के प्रतीक स्वरूप परंपरा शमी के पत्ते बांटे जाते हैं।

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