हिंदु धर्म में एकादशी तिथि का बहुत महत्व है। यह दिन धामिर्क और आध्यात्मिक नजरिए से महत्वपूर्ण है। यह दिन भगवान श्रीहरि विष्णु की सच्चे मन और निष्ठा से पूजा करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। एकादशी तिथि हिंदू वर्ष के हर मास के प्रत्येक पक्ष की 11वीं तिथि को कहते हैं। हर माह में एकादशी तिथि दो बार आती है। एक बार कृष्ण पक्ष में और एक बार शुक्ल पक्ष में। धार्मिक मान्याताओं के अनुसार इस पूरी श्रद्ध के साथ व्रत करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। अगस्त के महीने में भी दो बार एकादशी तिथि आएगी। एक श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी और दूसरी भाद्रपद मास की अजा एकादशी। आइए जानें इनकी तिथि और व्रत पारण का समय
अगस्त 2025 की प्रमुख एकादशियां
श्रावण पुत्रदा एकादशी (शुक्ल पक्ष)
श्रावण पुत्रदा एकादशी संतान पाने की इच्छा के लिए अहम मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से संतान सुख पाने का आशीर्वाद मिलता है। इस बार ये एकादशी मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।
एकादशी तिथि शुरू : 4 अगस्त, दिन में 11:41 बजे
एकादशी व्रत तिथि : 5 अगस्त
एकादशी व्रत पारण तिथि : 6 अगस्त, सुबह 5.45 बजे से सुबह 8.26 बजे तक
अजा एकादशी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में आती है। इसे अन्नदा एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से पिछले जन्मों के पाप नष्ट होते हैं। इस बार ये एकादशी मंगलवार, 19 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।
एकादशी तिथि शुरू : 18 अगस्त, शाम 5:22 बजे
एकादशी तिथि समाप्त : 19 अगस्त, शाम 3:32 बजे
एकादशी व्रत पारण तिथि : 20 अगस्त, सुबह 5.53 बजे से सुबह 8.29 बजे तक
एकादशी तिथि पूजा विधि : सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद पूजा के स्थान को भी साफ करलें। पूजा करने के पहले भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। एक लकड़ी की चौकी लेकर उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। इस पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी या मां लक्ष्मी का चिह्न श्रीयंत्र स्थापित करें। श्रीहरि विष्णु के मंत्रोच्चार के साथ पूजा शुरू करें और कथा कहें। इसके बाद भगवान को फल, मिठाई, पंचामृत और तुलसी दल का भोग लगाएं। इसके बाद पूरा दिन श्री कृष्ण महामंत्र का जाप करते हुए व्यतीत करें। विष्णु मंदिर में दर्शन करें और भगवान को तुलसी की माला अर्पित करें। शाम को फल या एकादशी व्रत का फलाहार करें। एकादशी का कठिन व्रत करने वाले भक्त इस व्रत का पारण द्वादशी यानी 12वीं तिथि को करते हैं।