पुणे को अक्सर महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है। यह शहर अपनी ऐतिहासिक धरोहरों, खूबसूरत त्योहारों और आध्यात्मिक स्थलों के लिए जाना जाता है। इस शहर में मौजूद पूजा की बहुत की जगहों में भगवान गणेश के एक मंदिर का विशेष स्थान है। ये मंदिर है त्रिशुंड मयुरेश्वर गणपति मंदिर। 18वीं सदी में बने इस मंदिर का निर्माण भीमजीगिरि गोसावी ने करवाया था। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि और नई शुरुआत का देवता कहा जाता है। पुणे में गणेश जी को समर्पित कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर हैं।
यहां स्थित है त्रिशुंडेश्वर गणपति का मंदिर
पुणे का त्रिशुंडेश्वर गणपति मंदिर मयूरेश्वर गांव में बना है। इस मंदिर में गणपति दुर्लभ और अलग रूप में विराजते हैं। यहां स्थित मूर्ति के तीन सूंड हैं और ये अपने वाहन मूषक की जगह मोर पर बैठे हुए हैं। मंदिर का नाम भगवान मयूरेश्वर के नाम पर रखा गया है, जो गणेश भगवान का ही एक रूप है, जिसे बाधाओं को दूर करने वाला और कला, ज्ञान और समृद्धि का संरक्षक कहा जाता है।
यहां स्थित मूर्ति की तीन सूंड हैं, जो भगवान गणेश की श्रेष्ठ और दुर्लभ छवि का प्रतिनिधित्व करने के साथ ही उनकी बहुमुखी क्षमताओं और शक्तियों का प्रतीक है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार उनकी ये तीन सूंडें जीवन के भौतिक, आध्यात्मिक और बौद्धिक पहलुओं को एक साथ नियंत्रित करने की उनकी क्षमता का प्रतीक हैं।
सदियों पुराना है मंदिर का इतिहास
गणेश चतुर्थी में दर्शन करने आते हैं भक्त
गणेश चतुर्थी के मौके पर त्रिशुंड मयुरेश्वर गणपति के दर्शन करने लोग दूर-दूर से आते हैं। इस दौरान यहां की रोनक देखने वाली रहती है। इस मंदिर में लोग बप्पा से बुद्धि, समृद्धि और सफलता की कामना लेकर आते हैं।