Gita Jayanti 2025: हिंदू धर्म ग्रंथों में श्रीमद्भगवद्गीता का महत्वपूर्ण स्थान है। आज मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने महान धनुर्धारी अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता का उपदेश दिया था। इसलिए आज मोक्षदा एकादशी व्रत के साथ गीता जयंति भी मनाई जाती है। आज इस महान धर्म ग्रंथ की 5162वीं वर्षगांठ है। पंचांग के अनुसार, आज से 5 हजार 162 साल पहले श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। आइए जानते हैं गीता जयंती की पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत युद्ध में जब कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन ने अपन परिजनों पर शस्त्र उठाने से इनकार कर दिया था, तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन की शंका को दूर करने के लिए उपदेश दिया था। महाकाव्य महाभारत की मानें तो गीता का संवाद लगभग ‘दो घड़ी’ यानी 48 मिनट चला था। वहीं, कुछ विद्वान मानते हैं कि 45 मिनट से लेकर 2 घंटे तक कृष्ण जी ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इस दिन श्रीमद्भगवद्गीता के साथ ही भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा की जाती है। आज के दिन
गीता जयंती की पूजा का शुभ मुहूर्त
धार्मिक मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दोपहर के समय गीता का उपदेश दिया था। इसलिए दोपहर में ही गीता जयंती के मौके पर भगवान श्रीकृष्ण और गीता जी की पूजा करनी चाहिए। आज गीता जयंति की पूजा का सबसे अच्छा मुहूर्त सुबह 11:49 से लेकर दोपहर 12:31 मिनट तक है। यदि किसी कारण से इस समय आप पूजा नहीं कर पाते हैं तो दोपहर 01:55 से दोपहर 02:37 के बीच भी पूजा की जा सकती है।
सायाह्न सन्ध्या- शाम में 05:24 बजे से 06:45 बजे तक