Gita Jayanti 2025: आज मनाई जा रही श्रीमद्भगवद्गीता की 5162वीं वर्षगांठ, जानिए श्री कृष्ण की पूजा विधि और मुहूर्त

Gita Jayanti 2025: आज मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। आज के दिन मोक्षदा एकादशी के व्रत के साथ गीता जयंति भी मनाई जाती है। भगवान श्री कृष्ण ने आज ही के दिन कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। आइए जानें आज की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

अपडेटेड Dec 01, 2025 पर 11:08 AM
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आज गीता जयंति की पूजा का सबसे अच्छा मुहूर्त सुबह 11:49 से लेकर दोपहर 12:31 मिनट तक है।

Gita Jayanti 2025: हिंदू धर्म ग्रंथों में श्रीमद्भगवद्गीता का महत्वपूर्ण स्थान है। आज मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने महान धनुर्धारी अर्जुन को कुरुक्षेत्र में गीता का उपदेश दिया था। इसलिए आज मोक्षदा एकादशी व्रत के साथ गीता जयंति भी मनाई जाती है। आज इस महान धर्म ग्रंथ की 5162वीं वर्षगांठ है। पंचांग के अनुसार, आज से 5 हजार 162 साल पहले श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। आइए जानते हैं गीता जयंती की पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत युद्ध में जब कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन ने अपन परिजनों पर शस्त्र उठाने से इनकार कर दिया था, तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन की शंका को दूर करने के लिए उपदेश दिया था। महाकाव्य महाभारत की मानें तो गीता का संवाद लगभग ‘दो घड़ी’ यानी 48 मिनट चला था। वहीं, कुछ विद्वान मानते हैं कि 45 मिनट से लेकर 2 घंटे तक कृष्ण जी ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इस दिन श्रीमद्भगवद्गीता के साथ ही भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा की जाती है। आज के दिन

गीता जयंती की पूजा का शुभ मुहूर्त

धार्मिक मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दोपहर के समय गीता का उपदेश दिया था। इसलिए दोपहर में ही गीता जयंती के मौके पर भगवान श्रीकृष्ण और गीता जी की पूजा करनी चाहिए। आज गीता जयंति की पूजा का सबसे अच्छा मुहूर्त सुबह 11:49 से लेकर दोपहर 12:31 मिनट तक है। यदि किसी कारण से इस समय आप पूजा नहीं कर पाते हैं तो दोपहर 01:55 से दोपहर 02:37 के बीच भी पूजा की जा सकती है।

आज के अन्य शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह में 05:08 बजे से 06:02 बजे तक


सायाह्न सन्ध्या- शाम में 05:24 बजे से 06:45 बजे तक

पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें।
  • तांबे के लोटे में जल, अक्षत और फूल डालें। फिर सूर्य देव को अर्घ्य दें और मंत्र जाप करें।
  • घर के मंदिर को गंगाजल से पवित्र करें।
  • मंदिर में एक चौकी रखें औ उसके ऊपर सफेद रंग का कपड़ा बिछाएं। फिर कृष्ण जी की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें।
  • गंगाजल से भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा को स्नान कराने के बाद चौकी पर भगवद्गीता ग्रंथ रखें।
  • घी का दीपक जलाएं।
  • श्रीकृष्ण और श्रीभगवद्गीता को चंदन लगाएं और फूलों की माला पहनाएं। साथ ही धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
  • इस दौरान श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करें।
  • श्रीभगवद्गीता गीता का पाठ करें।
  • आरती करके पूजा का समापन करें।

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