Mokshada Ekadashi Vrat Katha:आज मोक्षदा एकादशी व्रत में ये कथा सुनने वाले होंगे पाप मुक्त, जरूर करें इसका पाठ

Mokshada Ekadashi Vrat Katha: आज मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। आज मोक्षदा एकादशी का व्रत किया जा रहा है। आज के दिन यहां दी जा रही कथा सुनने वाले भक्त अपने सभी पापों से मुक्त होते हैं और पूर्वजों सहित जीवन-मृत्यु के चक्र से आजाद होकर मोक्ष प्राप्त करते हैं।

अपडेटेड Dec 01, 2025 पर 10:23 AM
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ऐसा माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन कथा का पाठ करने से साधक को शुभ फल मिलता है।

Mokshada Ekadashi Vrat Katha: मोक्षदा एकादशी व्रत को मोक्ष दायनी व्रत कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन व्रत करने वाले भक्त को अपने सभी पापों से मुक्ति मिलती है और वे अपने पूर्वजों सहित जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाते हैं। यह व्रत करने से इन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्षदा एकादशी का व्रत हर साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण ने जब कुरुक्षेत्र में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था उस दिन भी अगहन शुक्ल पक्ष की एकादशी थी।

इसलिए आज के दिन गीता जयंति भी मनाई जाती है। हिंदू धर्म में आज के दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि किसी अन्य धार्मिक ग्रंथ की जयंति नहीं मनाई जाती है। एकादशी तिथि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन व्रत और कथा का पाठ करने से लक्ष्मी नारायण की कृपा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन कथा का पाठ करने से साधक को शुभ फल मिलता है। साथ ही भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। आइए जानें मोक्षदा एकादशी की मोक्षदायनी व्रत कथा के बारे में

मोक्षदा एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, चंपकनगर नाम के राज्य में वैखानस नाम के राजा थे। इस राज्य में चारों वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण रहते थे। एक बार राजा को बुरा सपना आया। उसने देखा कि उसके पूर्वज नरक में पड़े हैं। इस सपने को देख राजा बेहद दुखी हुआ। इस सपने के बारे में राजा ने ब्राह्मणों को बताया। राजा ने ब्राह्मणों से कहा कि सपने में पूर्वज नरक से निकालने की गुहार लगा रहे थे। राजा ने कहा कि इस सपने को देख मुझे बेहद दुख हो रहा है। जब से इस सपने को देखा है तब से मैं बहुत ही बैचेन हूं।

उन्होंने ब्राह्मणों से पूछा कि ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए? ब्राह्मणों ने बताया कि यहीं पास में पर्वत ऋषि का आश्रम है। वहां भविष्य, वर्तमान के ज्ञाता हैं। आपकी समस्या का समाधान ऋषि जरूर करेंगे। ब्राह्मणों की आज्ञा का पालन कर राजा ऋषि मुनि के आश्रम में पहुंचा। उसने ऋषि को सपने के बारे में बताया।

राजा ने कहा कि मेरे पूर्वज नरक भोग रहे हैं। ऐसे में मैं बहुत असहाय महसूस कर रहा हूं। उनको मैं नरक से कैसे निकालूं। ऋषि ने राजा को मार्गशीर्ष माह के शुक्‍ल पक्ष एकादशी तिथि का व्रत करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इस व्रत को करने से पितर नरक से मुक्त हो जाएंगे। इसके बाद राजा ने विधिपूर्वक व्रत मोक्षदा एकादशी व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से राजा का पूर्वज बुरे कर्मों से मुक्त हो गए।


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