हिंदू वर्ष में अहम स्थान रखने वाला सावन का पवित्र महीना अब समापन की ओर है। इस महीने के बाद भाद्रपद मास शुरू होता है। इसमें भी कई प्रमुख व्रत और त्योहार आते हैं, जिन्हें पूरे देश में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इनमें से एक व्रत है हरतालिका तीज का। इसे शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। यह व्रत भादों मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शिव-पार्वती की मूर्ति मिट्टी से बनाकर उसकी पूजा की जाती है और निर्जला उपवास किया जाता है। हरतालिका तीज का त्योहार खासतौर से उत्तर भारत में मनाया जाता है। यह देवी पार्वती और भगवान शिव के दिव्य मिलन का प्रतीक है।
इस त्यौहार का नाम इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा के आधार पर रखा गया है। 'हरतालिका' शब्द 'हरत' और 'आलिका' से मिलकर बना है। इसमें हरत का अर्थ अपहरण है और तालिका का मतलब स्त्री सखी होता है। पार्वती राजा हिमवान की बेटी हैं, जो उनका विवाह विष्णु से करना चाहते थे। लेकिन पार्वती भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थीं। इसलिए अपनी भक्ति सिद्ध करने के लिए कई वर्षों तक कठोर व्रत किया। पार्वती की साधना में विघ्न न आए, इसलिए उनकी सहेलियां उन्हें सुदूर एक वन में ले गईं। आखिर उनकी भक्ति से प्रसन्न हो कर भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।
शिव-पार्वती की मूर्ति बनाकर करते हैं पूजा
हरतालिका तीज पर, विवाहित महिलाएं मिट्टी या रेत से भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियां बना कर उसकी पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत (बिना अन्न-जल के उपवास) रखती हैं, मेहंदी लगाती हैं और सोलह श्रंगार करती हैं। सुखी वैवाहिक जीवन और अपने पति के स्वास्थ्य की कामना करती हैं।
इस वर्ष हरितालिका तीज का व्रत 26 अगस्त 2025 को रखा जाएगा। तृतीया तिथि की शुरुआत 25 अगस्त को दोपहर 12:34 बजे से होगी और इसका समापन 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे होगा। उदया 26 अगस्त को मिलने की वजह से यह उपवास भी इसी दिन रखा जाएगा।