भद्रपद मास की शुरुआत हो चुकी है। हिंदू धर्म में इस मास का भी बहुत महत्व है। इस माह में भी कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आते हैं, जैसे कजरी तीज। यह त्योहार हर साल ये त्योहार भाद्रपद मास की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। कजरी तीज को बड़ी तीज, कजली तीज और कुछ क्षेत्रों में सातुड़ी तीज भी कहा जाता है। हरियाली तीज की तरह कजरी तीज में भी भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं और उपवास करती हैं।
यह व्रत शादीशुदा महिलाओं और अविवाहित कन्याएं दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। विवाहित स्त्रियां इस दिन मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए सोलह श्रृंगार करती हैं। यह त्योहार राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे उत्तरी राज्यों में मनाया जाता है। इस दिन जगहों पर मां पार्वती की शोभायात्राएं भी निकाली जाती हैं। इस बार 12 अगस्त 2025 को उदया तिथि मिलने की वजह से कजरी तीज का व्रत मंगलवार को किया जाएगा।
पूजी की तिथि और शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि प्रारंभ : 11 अगस्त, सुबह 10:33 बजे
तृतीया तिथि समाप्त : 12 अगस्त, सुबह 8:40 बजे
ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 4:23 बजे से सुबह 5:06 बजे तक
विजय मुहूर्त : दोपहर 2:38 बजे से दोपहर 3:31 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त : शाम 7:03 बजे से शाम 7:25 बजे तक
सर्वार्थसिद्धि योग : सुबह 11:52 बजे (12 अगस्त) से सुबह 5:49 बजे (13 अगस्त)
मां पर्वती को अर्पित करें ये चीजें
माना जाता है कि इस दिन माता पार्वती को सुहाग सामग्री अर्पित करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है, और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
इस खास मौके पर बन रहे ये शुभ संयोग
कजरी तीज के शुभ अवसर पर धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से तीन प्रभावशाली घटनाएं एक साथ होंगी। इस दिन वक्री चल रहे बुध सीधी चाल से चलेंगे बृहस्पति व शुक्र का संयोग भी बनेगा। तीन ग्रहों का यह दुर्लभ संयोग आशीर्वाद, समृद्धि और आध्यात्मिक नजरिये से महत्वपूर्ण होगा।